कारी बदरिया मारे लहरिया-आदमी १९६८
फिल्म आरोप का गीत सुनने के बाद से कुछ साहित्यिक उपमाओं
वाले गीत दिमाग में घुमड़ने लगे हैं। एक ऐसा ही गीत है फिल्म
आदमी से जो कविवर शकील बदायूनी का लिखा हुआ है। बदरिया,
लहरिया जैसे ठेठ भाषा के शब्द सुनने को कान तरस जाते हैं। कोयल
की आवाज़ से ये गीत चालू होता है और तुरंत ही लता की आवाज़ सुनाई
देने लगती है। गीत तेज़ गति वाला है और इसे गुनगुनाना आसान नहीं है
मगर सुनने में आनंददायक है।
किसी संगीत प्रेमी से बात हो रही थी नौशाद के संगीत के बारे में। उन्होंने एक
बात कही-नौशाद को गीत की लय बनाने के लिए आ, आ, ऊ ऊ, ई ई, या
अन्य फालतू शब्दों की ज़रुरत नहीं पढ़ती है। काफी हद तक सही है। ये बात इस
गीत पर कहीं से लागू नहीं हो रही। गीत की पंक्ति कुछ कम पड़ने पर संगीतकार
डमी शब्दों का प्रयोग कर लिया करते हैं। ये चलन बहुत पुराना है हिंदी फिल्म
संगीत के क्षेत्र में। इस गीत में ऐसा लगता है मानो नौशाद ने डमी शब्द प्रयोग
करने की अपनी सालों की दबी इच्छा पूरी कर ली हो।
साडी पहन कर झरने और पहाड़ों में कैसे लहराया जाए सीखिए नायिका
वहीदा रहमान से ।
गीत के बोल:
हा आ, हा आ आ आ हो
हा आ आ आ आ आ आ
कारी बदरिया मारे लहरिया मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हे ऐ, कारी बदरिया मारे लहरिया मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हे ऐ ऐ ऐ ऐ , धीरे से चल अरी बैरी पवन
मोरा गोरा बदन खुला जाए रे
हाय रामा, मोरा जियरा उड़ा जाए रे
भीगा भीगा मौसम, ये भीगा भीगा मौसम
ये दिन अलबेले, ये दिन अलबेले
जिया नहीं लागे सावन में अकेले
जिया नहीं लागे सावन में अकेले
पी की पुकार करे पापी पपीहा
मोरे दिल को बेदर्दी जलाए रे
हे ऐ, कारी बदरिया मारे लहरिया मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हाय रामा, मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हा आ आ आ आ आ आ आ
कली कली भँवरा जो डोलन लागे
कली कली भँवरा जो डोलन लागे
मीठी मीठी पीड़ा करेजवा में जागे
हो ओ ओ ओ ओ, मीठी मीठी पीड़ा करेजवा में जागे
हे ऐ ऐ, मनवा को थाम यहीं सोचूँ मैं राम
कोई मोरी नगरिया बताए रे
हे हे, कारी बदरिया मारे लहरिया मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हाय रामा, मोरा जियरा उड़ा जाए रे
पिया बिन फीकी रे पिया बिन फीकी
ये सज धज मोरी, यह सज धज मोरी
इत उत भटके जवानी निगोड़ी
इत उत भटके जवानी निगोड़ी
हे ऐ ऐ, चढ़ती उमर लिये जाए उधर जहाँ
रातों को निंदिया न आये रे
हाय, हाय, कारी बदरिया मारे लहरिया मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हाय रामा, मोरा जियरा उड़ा जाए रे
हे ऐ ऐ, धीरे से चल ऐ री बैरी पवन
मोरा गोरा बदन खुला जाए रे
हाय रामा, मोरा जियरा उड़ा जाए रे
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