जब तुम ही चले परदेस लगा कर ठेस-रतन १९४४
फिल्म रतन के पिछले गीत में नायक कहीं जा रहा है और
नायिका उसे रोकना चाह रही है। इस गीत में नायिका नायक
को ठेस लगा के चली जा रही है। ये सबसे आसानी से गुनगुनाया
जा सकने वाला गीत है फिल्म रतन का। इसे सुन सुन कर हम
लोग बड़े हुए हैं। नायक करण दीवान स्वयं इसे परदे पर और
पार्श्व में गा रहे हैं। ठेस लगाने वाली उस नायिका का नाम है
स्वर्णलता जो शायद बैलगाड़ी में बैठ के जा रही हैं कहीं।
सन १९४४ में बने इस गीत की ताजगी में जरा भी कमी नहीं
आई है। उस समय में करण दीवान एक बेहद प्रसिद्ध नाम हुआ
करता था। इस गीत को लिखा है दीना नाथ मधोक ने और धुन
बनाई है नौशाद ने।
गीत के बोल:
जब तुम ही चले परदेस
लगा कर ठेस
ओ प्रीतम प्यारा
दुनिया में कौन हमारा
जब तुम ही चले परदेस
लगा कर ठेस
ओ प्रीतम प्यारा
दुनिया में कौन हमारा
जब बादल घिर घिर आयेंगे
बीते दिन याद दिलाएंगे
जब बादल घिर घिर आयेंगे
बीते दिन याद दिलाएंगे
फिर तुम ही कहो कित जाये नसीब हमारा
दुनिया में कौन हमारा
फिर तुम ही कहो कित जाये नसीब हमारा
दुनिया में कौन हमारा
जब तुम ही चले परदेस लगा कर ठेस
ओ प्रीतम प्यारा
दुनिया में कौन हमारा
आँखों से पानी बहता है
दिल रो रो कर ये कहता है
आँखों से पानी बहता है
दिल रो रो कर ये कहता है
जब तुम ही ने साजन हमसे किया किनारा
दुनिया में कौन हमारा
जब तुम ही ने साजन हमसे किया किनारा
दुनिया में कौन हमारा
जब तुम ही चले परदेस लगा कर ठेस
ओ प्रीतम प्यारा
दुनिया में कौन हमारा
जब तुम ही चले परदेस लगा कर ठेस
ओ प्रीतम प्यारा
दुनिया में कौन हमारा
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