घूंघट के पट खोल रे-जोगन १९५०
फिल्म का गीत सुनते हैं जो ख़ासा लोकप्रिय है। गीत में कुछ ऐसा
कहा गया है-घूंघट खोलने के बाद पिया मिलेंगे। अंतर्मन का
घूंघट खोल तो हरि मिलेंगे। ये रचना पारंपरिक रचना है जो कृष्ण
भक्त मीरा बाई द्वारा रचित है। 'पारंपरिक' शब्द का प्रयोग बॉलीवुड
में तभी होता है जब गीत सदियों, युगों पुराना हो और जिसे किसी
फ़िल्मी गीतकार ने ना लिखा हो।
फिल्म जोगन के गीत की संगीत रचना की है बुलो सी. रानी ने।
गीत गाया है गीता रॉय ने और ये फिल्माया गया है नर्गिस पर।
गायिका गीत दत्त के कैरियर में ये गीत एक मील का पत्थर गीत
साबित हुआ. इस भजन को आप कई आवाजों में सुन पाएंगे
कारण-इसको कई गायकों ने गाया है। रागदारी की बात करें तो
ये गीत राग 'दरबारी कानडा' के लगभग निकट है। शुद्धता की बात
करें तो ये विडम्बना है कि १९६४ की फिल्म जिद्दी का हास्य गीत
'प्यार की आग में' इस राग के सबसे निकट माना जायेगा।
गीत के बोल:
घूँघट के पट खोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
घट घट में तोरे
साईं बसत हैं
घट घट में तोरे
साईं बसत हैं
कठू बचन मत बोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
धन जोबन का गर्ब न कीजे
धन जोबन का गर्ब न कीजे
झूठा इनका मोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
सूने मन्दिर
सूने मन्दिर दिया जला के
सूने मन्दिर दिया जला के
आसन से मत डोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे
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Ghoonghat ke pat khol re-Jogan 1950
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