कौन सुनेगा-सौतन की बेटी १९८९
फिल्म 'सौतन की बेटी' से लिया गया है। गीत लोकप्रिय गीत है
लेकिन इसके संगीतकार का नाम ज्यादा प्रसिद्ध नहीं। ये गीत
किशोर कुमार के अवसान के बाद प्रकट हुआ सन १९८९ में और
उनके गाये आखिरी कुछ गीतों में से एक है। इस गीत को लिखा
है सावन कुमार टाक ने और इसकी धुन बनाई है वेदपाल ने।
गीत फिल्माया गया है सुमीत सहगल नाम के नायक पर जो खुद
भी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हैं। वो इस मामले में भाग्यशाली हैं कि
किशोर का गाया एक श्रेष्ठ दर्दीला गीत उनके हिस्से आया। कुछ
संगीत प्रेमी किशोर का हर गीत राजेश खन्ना, अमिताभ या देव
आनंद पर फिल्माया गाया देखना चाहते हैं। इस गीत में कोई भी
अभिनेता होता तो भी कोई फर्क नहीं पढता। गीत दमदार है और
इसे पहचान के लिए किसी नामचीन अभिनेता की ज़रुरत नहीं।
ये बात और है कि किसी बड़े नायक के खाते में ये गीत आया होता
तो वो फख्र महसूस करता। वैसे हमारी देसी फिल्लम इंडस्ट्री में
शम्मी कपूर जैसे ईमानदार कलाकार कम है जो खुद की प्रसिद्धि
में गायक के योगदान को ह्रदय से स्वीकार करें। नंबर १-२-३ की कुर्सी
पर बैठे कलाकारों का अहम् इतना ऊंचा हो जाता है की वे "मैं" और
"हम" के दायरे में सिमट जाते हैं।
जिनका ये मानना है कि किशोर कुमार केवल खुशनुमा और हास्य
गीत के लिए जाने जाते हैं उनको शायद एक बाद किशोर के गाये
गीतों की विविधता पर शोध की आवश्यकता है। ये वाकया उन संगीत
प्रेमियों के लिए है जिन्होंने किशोर के २०-३० गीत सुन रखे हैं।
हिंदी फिल्म सिनेमा के खजाने में किशोर के गाये लगभग ३०००
गीत मौजूद हैं ।
वेदपाल ने काफी अच्छा संगीत दिया है इस फिल्म में। उनकी शैली
कुछ कुछ उषा खन्ना की शैली से मिलती है । फिल्म सावन कुमार की
है और इस मामले में शायद सावन कुमार से बेहतर जवाब कोई नहीं
दे सकता की ऐसा क्यूँ है। विडियो गीत से एक अन्तरा गायब है लेकिन
उसके बोल मैं यहाँ दे रहा हूँ।
गीत के बोल:
कौन सुनेगा किसको सुनाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
कौन सुनेगा किसको सुनाएँ
कौन सुनेगा किसको सुनाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
हमसे अपने रूठ ना जाएँ
हमसे अपने रूठ ना जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
मेरी सूरत देखनेवालों
मैं भी एक आइना था
मेरी सूरत देखनेवालों
मैं भी एक आइना था
टूटा जब ये शीशा ये दिल
सावन का महिना था
टुकड़े दिल के किसको दिखाएँ
टुकड़े दिल के किसको दिखाएँ
इसीलिए चुप रहते है
हमसे अपने रूठ ना जाएँ
हमसे अपने रूठ ना जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
आज ख़ुशी की इस महफ़िल में
अपना जी भर आया है
आज ख़ुशी की इस महफ़िल में
अपना जी भर आया है
गम की कोई बात नहीं हैं
हमें ख़ुशी ने रुलाया है
आंख से आंसू बह ना जाएँ
आंख से आंसू बह ना जाएँ
इसीलिए गुप रहते हैं
हमसे अपने रूठ ना जाएँ
हमसे अपने रूठ ना जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
प्यार के फूल चुने थे हमने
ख़ुशी की सेज सजाने को
प्यार के फूल चुने थे हमने
ख़ुशी की सेज सजाने को
पतझड़ बन कर आई बहारें
घर में आग लगाने को
आग में गम की जल ना जाएँ
आग में गम की जल ना जाएँ
इसीलिए चुप रहते है
कौन सुनेगा किसको सुनाएँ
कौन सुनेगा किसको सुनाएँ
इसीलिए चुप रहते हैं
इसीलिए चुप रहते हैं
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Kaun sunega-Souten ki beti 1989
Artist: Sumit Sehgal
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