निगाहें मिलाने को जी चाहता है-पराई आग १९४८
गुलाम मोहम्मद के संगीत पर बात छिड़ी है तो आइये एक साल और
पीछे चलें और सुनें सन १९४८ की फिल्म 'पराई आग' से एक गीत।
गुलाम मोहम्मद के गीत वैसे भी दुर्लभ की श्रेणी में आते हैं क्यूंकि
सुनने को नहीं मिलते हैं । ये गीत तनवीर नकवी ने लिखा है और गा
रहे हैं मोहम्मद रफ़ी।
इस गीत का मुखड़ा आपको एक और फ़िल्मी गीत की याद दिलाएगा।
सन १९६३ की फिल्म-दिल ही तो है का आशा का गाया गीत ।
इस फिल्म में भी मधुबाला मौजूद हैं। उल्हास और मुनव्वर सुल्ताना
शायद इस फिल्म में नायक नायिका हैं। फिल्म 'पराई आग' के निर्देशक
नज़म नकवी हैं उनका इस फिल्म के गीतकार तनवीर नकवी के साथ
कुछ सम्बन्ध है या नहीं मुझे जानकारी नहीं।
यू ट्यूब पर उपलब्ध ऑडियो की गुणवत्ता गड़बड़ है। काम चलाइए बस।
गीत के बोल:
निगाहें मिलाने को, जी चाहता है
निगाहें मिलाने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
निगाहें मिलाने को, जी चाहता है
अगर दूर से हम तुझे देखते हैं
अगर दूर से हम तुझे देखते हैं
तेरे पास आने को जी चाहता है
तेरे पास आने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
निगाहें मिलाने को, जी चाहता है
वो बातें जो तेरे तसव्वुर से की हैं
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
वो बातें जो तेरे तसव्वुर से की हैं
उसे भी सुनाने को जी चाहता है
उसे भी सुनाने को जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
निगाहें मिलाने को, जी चाहता है
तेरी राह में, तेरे हर हर क़दम पर
तेरी राह में, तेरे हर हर क़दम पर
निगाहें बिछाने को, जी चाहता है
निगाहें बिछाने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
तुझे आजमाने को, जी चाहता है
निगाहें मिलाने को, जी चाहता है
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