बदनाम ना हो जाए-शहीद १९४८
कामिनी कौशल के नाम से एक फिल्म और याद आ गई जी।
उसका भी एक गीत सुन लो जी। इस फिल्म का नाम 'शहीद' है
जी।
फिल्म शहीद(१९४८) के दो गीत बेहद लोकप्रिय हुए । ये गीत
उनमे से एक है और सुरिंदर कौर का गाया हुआ है। सुरिंदर कौर
पंजाबी मूल की प्रसिद्ध गायिका हैं। उस समय पंजाब के कई कलाकार
फिल्म उद्योग में हुआ करते थे विशेषकर संगीत के क्षेत्र में और इनमे
गीतकार, गायक, गायिका और संगीतकार बहुत से थे पंजाबी मूल के।
यहाँ पंजाब मूल से तात्पर्य अविभाजित भारत के पंजाब से हैं। आपको
उस दौर की पाकिस्तानी फिल्मों में भी इसी स्टाइल का संगीत मिलेगा।
ये गीत कमर ज़लालाबदी का लिखा हुआ है और संगीतकार हैं गुलाम हैदर
जिनका नाम बहुत अदब से लिया जाता रहा है संगीत के क्षेत्र में। गीत
लोकप्रिय ज़रूर है मगर बहुत कम लोगों को ये जानकारी होगी कि ये कमर
ज़लालाबदी की कलम से निकला है।
गीत के बोल:
बदनाम ना हो जाए,
बदनाम ना हो जाए मोहब्बत का फ़साना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
बदनाम ना हो जाए,
बदनाम ना हो जाए मोहब्बत का फ़साना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
दुनिया में मोहब्बत की यही रीत है ऐ दिल
दुनिया में मोहब्बत की यही रीत है ऐ दिल
ये ही रीत है ऐ दिल
ये ही रीत है ऐ दिल
जल जाना मगर होंठों पे फ़रियाद ना लाना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
बदनाम ना हो जाए,
बदनाम ना हो जाए मोहब्बत का फ़साना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
कह दे ना कहीं आँख मेरे दिल की कहानी
कह दे ना कहीं आँख मेरे दिल की कहानी
मेरे दिल की कहानी
मेरे दिल की कहानी
ऐ दिल तेरी धड़कन कहीं सुन ले ना ज़माना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
बदनाम ना हो जाए,
बदनाम ना हो जाए मोहब्बत का फ़साना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
ऐ जान-ए-मोहब्बत यही बस मेरी दुआ है
ऐ जान-ए-मोहब्बत यही बस मेरी दुआ है
यही बस मेरी दुआ है
यही बस मेरी दुआ है
हो जाये तेरे साथ मेरी जान भी रवाना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
बदनाम ना हो जाए,
बदनाम ना हो जाए मोहब्बत का फ़साना
ओ दर्द भरे आंसुओं आँखों में ना आना
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