अब कौन सुनेगा हाय रे-दरोगा जी १९४९
आशियाना से था। एक साल पीछे १९४९ में चलें। नर्गिस इस समय कोई
जाना पहचाना नाम नहीं था। यह गीत गाया है गीता रॉय ने । गीत लिखा
है एम्. एल. खन्ना ने और धुन बनाई है संगीतकार बुलो सी. रानी ने।
मनोहर लाल खन्ना और बुलो. सी. रानी दोनों नाम भी इतने जाने पहचाने
नहीं हैं। फिल्म में जयराज नायक की भूमिका में हैं जिन्हें हम बहुत सी
फिल्मों में पुलिस इन्स्पेक्टर बने देख चुके हैं। इस ब्लॉग का एक मकसद
गुज़रे ज़माने के कलाकारों, गीतकारों, संगीतकारों और साजिंदों से परिचय
करवाना भी है जिनके नाम समय के साथ साथ गुमनामी की ओर अग्रसर हैं ।
पिछले गीत की तरह ये गीत भी दर्द भरा है, उससे थोडा ज्यादा ही। ये गीत
एक दुर्लभ गीत है और फिल्म को भी दुर्लभ की श्रेणी में रखा जा सकता हैं
क्यूँ कि ये देखने के लिए उपलब्ध नहीं है। यू ट्यूब पर चिपकी हुई क्लिप
शायद फिल्म के वी. एच. एस. कैसेट से ली गई है।
गीत के बोल:
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
ओ बेदर्दी बालमा
तूने मेरी कदर ना जानी
ओ बेदर्दी बालमा
तूने मेरी कदर ना जानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
तेरा द्वार छोड़ के मैं अब कहाँ जाऊंगी
तेरा द्वार छोड़ के मैं अब कहाँ जाऊंगी
तुझ बिन पिया रोये रोये मर जाऊंगी
तुझ बिन पिया रोये रोये मर जाऊंगी
हो, दुनिया हुयी बेगानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
हो, हो हो हो हो हो
काली काली रात आई है
काली काली रात आई है
गम की घटायें लिए
काली काली रात आई है
गम की घटायें लिए
खुशियों के दिन बीत गए
खुशियों के दिन बीत गए
किया था इक उल्फत का सौदा
मैं हारी वो जीत गए
किया था इक उल्फत का सौदा
मैं हारी वो जीत गए
मेरे भाग रूठ गए हाय
मेरे भाग रूठ गए हाय
मोहे रास ना आई जवानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
अब कौन सुनेगा हाय रे
दुखी दिल की कहानी
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