Nov 30, 2010

इस तरह आशिक़ी का असर-इम्तिहान १९९४

पहले सोचा आपको पुरानी ७० के दशक वाली इम्तिहान
का गीत सुनवाऊं फिर विचार बदला, सोचा सुनने वालों का
भी एक इम्तिहान लेना चाहिए। अरे भाई बहुत से दर्शक इस
फिल्म को देख कर इम्तिहान दे चुके हैं आप एक गीत नहीं
सुन सकते ?

ये उस दौर की फिल्म है जब शर्मिला टैगोर पुत्र उर्फ़ नायक
सैफ अली खान "सेफ" माने जाते थे। वो इसलिए कि एक्टिंग
आये या ना आये, फिल्म पिटे चाहे हिट हो उनको फ़िल्में मिलती
रहेंगी, ऐसा कई लोगों का मानना था। इस मामले में बच्चन पुत्र
उतना भाग्यशाली नहीं रहे। खैर एक्टिंग ना इस फिल्म की
नायिका से बनी ना नायक से, अलबत्ता गीत ने ही हिट होकर
कुछ फिल्म में कमाल दिखाया। गीत फायज़ अनवर का है और
धुन अनु मालिक की। ये अनु के भी उस दौर का संगीत है जिस
दौर में वो हर दूसरी फिल्म के संगीत में बाज़ीगर के संगीत की
झलक दिखलाने की कोशिश करते। गीत गाया है कुमार सानू ने।

गीत फिल्माया गया है सनी देवल पर। ये एक चमत्कारी गीत भी है।
जैसे ही हीरो गिटार बजाता है उसमें से प्यानो की आवाज़ निकलती है।
ऐसा करने के बाद वो टार्ज़न की माफिक खिड़की से कूदकर फर्श पर
आ जाता हैं। या कौनसा गिटार है भाई जो पूरे गीत में प्यानो की
आवाज़ निकाल रहा है। विचित्र वीणा के अविष्कारक विश्व मोहन
भट्ट ने शायद ये गीत नहीं देखा है।



चलते चलते आपको इस गीत के फ़्रांसिसी भाई से भी मिलवा देते हैं:
Yves Montand - Les Feuilles Mortes
ये भाई हालाँकि उम्र में बड़ा है और इसकी पैदाइश san १९५१ की है।






गीत के बोल:

इस तरह आशिक़ी का असर छोड़ जाऊँगा
इस तरह आशिक़ी का असर छोड़ जाऊँगा
इस तरह आशिक़ी का असर छोड़ जाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा

इस तरह आशिक़ी का असर छोड़ जाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा

मैं दीवाना बन गया हूँ कैसी ये मुहब्बत है
ज़िन्दगी से बढ़कर अब तेरी ज़रूरत है
मुझको तू चाहिए तेरा प्यार चाहिए
एक बार नहीं सौ बार चाहिए
हर साँस मैं अपनी तुझपे लुटाऊँगा
दिल के लहू से तेरी माँग सजाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा

इस तरह आशिक़ी का असर छोड़ जाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा

प्यार क्या है दर्द क्या है दीवाने समझते हैं
इश्क़ में जलने का मतलब आशिक़ ही समझते हैं
मैं तड़पता हूँ तुझसे कुछ न कहूँ
बिन कहे भी मगर मैं तो रह न सकूँ
इस बेखुदी में आखिर कहाँ चैन पाऊँगा
मर के भी मैं तुझसे जुदा हो न पाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा

इस तरह आशिक़ी का असर छोड़ जाऊँगा
तेरे चेहरे पे अपनी नज़र छोड़ जाऊँगा
...............................................................................
Is tarah se ashiqui ka-Imtihaan 1994

2 comments:

मुफ्त का चन्दन,  February 14, 2018 at 1:14 PM  

उत्तम जानकारी

Geetsangeet March 14, 2018 at 7:29 PM  

घिसते रहिये.

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