जाइये आप कहाँ जायेंगे -मेरे सनम १९६५
जैसे ६० और ७० के दशक में हमने देखा कि हीरोइन के सर पर
चिड़िया का घोंसला या मिटटी का गमला लगे जूडे मिले वैसे ही हीरो के
केश विन्यास पर भी कुछ नज़र डाली जाए। उस दशक में कुछ
नायक - विश्वजीत और जॉय मुखर्जी अपने बालों की फुग्गे
वाली स्टाइल के लिए जाने गए। इस स्टाइल में सामने के बालों
को इस तरीके से संवारा जाता मानो कोई हवा भरा छोटा गुब्बारा
रख कर बाल बनाये गए हों। अब गीत कि बात ककी जाए। गीत है
मेरे सनम फिल्म से जिसे गा रही हैं आशा भोंसले। पब्लिक सोचती है
कि काश्मीर की कली, किस्मत, मेरे सनम इत्यादि फिल्मों का संगीत
एक जैसा क्यूँ है। मामला साफ़ है कि तीनों फिल्मों के संगीतकार
ओ. पी. नय्यर साहब हैं। ये बात और है कि मेरे सनम फिल्म के गीत
नय्यर साहब के फेवरेट गीतकार बिहारी साहब ने नहीं लिखे बल्कि
मजरूह साहब की कलम से निकले हैं । फिल्म के बारे में एक रोचक
तथ्य और है कि ये फिल्म नरेन्द्र बेदी की एक कहानी पर आधारित है।
संतूर का सुन्दर प्रयोग हुआ है गीत में जो इसकी एक और विशेषता है।
गाने के बोल:
जाइए आप कहाँ जायेंगे
ये नजर लौट के फिर आएगी
ये नजर लौट के फिर आएगी
दूर तक आप के पीछे, पीछे
दूर तक आप के पीछे, पीछे
मेरी आवाज चली जाएगी
जाइए आप कहाँ जायेंगे
ये नजर लौट के फिर आएगी
ये नजर लौट के फिर आएगी
आप को प्यार मेरा, याद जहाँ आएगा
कोई काँटा, वहीँ दामन से लिपट जायेगा
कोई काँटा, वहीँ दामन से लिपट जायेगा
जाइए आप कहाँ जायेंगे
ये नजर लौट के फिर आएगी
ये नजर लौट के फिर आएगी
जब उठोगे मेरी बेताब निगाहों की तरह
रोक लेगी कोई डाली मेरी बाँहों की तरह
रोक लेगी कोई डाली मेरी बाँहों की तरह
जाइए आप कहाँ जायेंगे
ये नजर लौट के फिर आएगी
ये नजर लौट के फिर आएगी
देखिये चैन मिलेगा ना कहीं दिल के सिवा
आप का कोई नहीं, कोई नहीं दिल के सिवा
आप का कोई नहीं, कोई नहीं दिल के सिवा
जाइए आप कहाँ जायेंगे
ये नजर लौट के फिर आएगी
ये नजर लौट के फिर आएगी
दूर तक आप के पीछे, पीछे
दूर तक आप के पीछे, पीछे
मेरी आवाज चली जाएगी
जाइए आप कहाँ जायेंगे
ये नजर लौट के फिर आएगी
ये नजर लौट के फिर आएगी
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Jaiye aap kahan jayenge-Mere sanam 1965
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