Dec 6, 2010

छम छम घुँघरू बोले-फागुन १९५८

लौट के बुद्धू घर को आये इशटाईल में फिर लौट चलें
काले पीले ज़माने की ओर। सुनिए एक झकास गाना
फिल्म फागुन से। ये है आशा की आवाज़ में एकल गीत।
इसे फिल्माया गया है हिंदी सिनेमा की वीनस मधुबाला
पर। कमर जलालाबादी के बोल, ओ पी नय्यर का संगीत
और आशा की आवाज़ साथ में मधुबाला की मुस्कराहट।
भारत भूषण भी दिखते हैं गीत में, उनकी मुस्कराहट
से कोई फर्क नहीं पढता। वस्तुतः वे गीत में नहीं
प्रकट होते तो भी काम चल जाता।

ओ पी नय्यर ऐसे संगीतकार है एस डी बर्मन के अलावा
जिनकी फिल्मों के एक नहीं वरन पूरे गीत सुनती है जनता।
अंदाज़ा लगाइए दोन ने कितनी मेहनत की होगी ये जानने
में कि जनता को कैसे लुभाया जाए। इन दोनों के कुछ
ही एल्बम औसत दर्जे के होंगे जिनमें से जनता एक आध
गीत सुनती होगी। उदाहरण के लिए फागुन फिल्म के सभी
गीत चाव से सुने जाते हैं।



गीत के बोल:

छम छम घुँघरू बोले
मेरी चाल नशीली डोले
मन गाने लगा समझाने लगा
तू आज किसी की हो ले

छम छम घुँघरू बोले
मेरी चाल नशीली डोले
मन गाने लगा समझाने लगा
तू आज किसी की हो ले

छम छम घुँघरू बोले

जब से तू दिल में सामने लगा
ज़िन्दगी में नया मज़ा आने लगा
जब से तू दिल में सामने लगा
ज़िन्दगी में नया मज़ा आने लगा
बदली है चाल खिल गए गाल
आँखों में सवाल बिखरे हैं बाल

छम छम घुँघरू बोले
मेरी चाल नशीली डोले
मन गाने लगा समझाने लगा
तू आज किसी की हो ले

छम छम घुँघरू बोले


याद रहे पिया मेरा प्यार सच्चा जी
फिर कभी आपसे मिलेंगे अच्छा जी
याद रहे पिया मेरा प्यार सच्चा जी
फिर कभी आपसे मिलेंगे अच्छा जी
आपके ग़ुलाम देते हैं सलाम
देख लिया नाच लाओ जी इनाम

छम छम घुँघरू बोले
मेरी चाल नशीली डोले
मन गाने लगा समझाने लगा
तू आज किसी की हो ले

छम छम घुँघरू बोले
...............................
Chham chham ghunghroo bole-Phagun 1958

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP