मेरी तकदीर के मालिक-शर्त १९५४
फिल्म शर्त के नाम से एक गाना तुरंत याद आ जाता है
वो है-ना ये चाँद होगा ना तारे रहेंगे जो गीता दत्त और
हेमंत कुमार ने गाया है। इस फिल्म में बहुत से मधुर
गीत हैं। आज आपको लता का गाया हुआ गीत सुनवाते
हैं । थोड़ा दर्द भरा गीत है ये। एस एच बिहारी के लिखे गीत
की तर्ज़ बनाई है हेमंत कुमार ने। इस गीत को हम हेमंत
कुमार द्वारा तैयार किये गए सर्वश्रेष्ठ गीतों में शामिल कर
सकते हैं। इस गीत की अतिरिक्त मधुरता जादू सा असर
करती है और आप इसे पूरा सुने बिना नहीं रह पाते।
गीत के बोल:
कहाँ से ले के आई हैं कहाँ मजबूरियाँ मेरी
ज़बान खामोश आँखें ख़ामोश आँखें कह रही हैं दास्तां मेरी
मेरी तक़दीर के मालिक मेरा कुछ फ़ैसला कर दे
बुरा चाहे बुरा कर दे भला चाहे भला कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक
मुझे इतना बता दे मैं कहाँ जाऊँ किधर जाऊँ
कहीं जाने से अच्छा है तेरे क़दमों में मर जाऊँ
सहारा दे नहीं सकता तो फिर बेआसरा कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक
नहीं दुनिया में मेरा दूसरा कोई ठिकाना है
मुझे तो बस यहीं अपना मुक़द्दर आजमाना है
लिया है दिल तो मेरी जान भी तन से जुदा कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक
मुझे बरबाद करने में जो होता हो भला तेरा
बुझा दे अपने हाथों से चिराग़-ए-ज़िन्दगी मेरा
नहीं कोई गिला तुझसे अगर चाहे फ़ना कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक मेरा कुछ फ़ैसला कर दे
बुरा चाहे बुरा कर दे भला चाहे भला कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक
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