Jan 14, 2011

क्या मिलिए ऐसे लोगों से-इज्ज़त १९६८

अजनबियों की भीड़ में नायक पहुँचता है। अजनबियों
के लिए वो जाना पहचाना है, बस वही एक बाकियों को
नहीं पहचानता। उन अजनबियों में से एक उसको भाई कह
कर पुकारती है । ऐसे मौके पर उससे गीत गाने की
गुज़ारिश की जाती है और वो अपने दिल की भड़ास गीत
के माध्यम से निकलता है। गीत के साथ शायद कोई
अंग्रेजी खेल हो रहा है जिसको हम फैंसी ड्रेस के नाम
से पुकारते हैं। इसमें आपको पुराने ज़माने की सब
विलायती नृत्य शैलियों का समावेश मिलेगा। आनंद
उठायें एक contrast वाले गीत का। सर में तेल की पूरी बोतल
बोतल चुपड़े हीरो को देखने का सौभाग्य आपको कम ही
ही फिल्मों में मिला होगा। वो ऐसा है की किरदार की मांग होगी
इसलिए निर्देशक ने नायक को काले रंग से भी पोत डाला है।




गीत के बोल:

क्या मिलिए ऐसे लोगों से,
जिनकी फितरत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे,

क्या मिलिए ऐसे लोगों से,
जिनकी फितरत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे,

खुद से भी जो खुद को छुपाये,
क्या उनसे पहचान करें,
क्या उनके दामन से लिपटें?,
क्या उनका सम्मान करें?,
जिनकी आधी नीयत उभरे,
आधी नीयत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे

दिलदारी का ढोंग रचाकर,
जाल बिछाए बातों का,
जीते जी का रिश्ता कहकर,
सुख ढूंढें कुछ रातों का,
रूह की हसरत लाभ पर आये,
जिस्म की हसरत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे

जिनके ज़ुल्म से दुखी है जनता,
हर बस्ती हर गावों में,
दया धरम की बात करें वो,
बैठ के सजी सभाओं में,
दान का चर्चा घर घर पहुंचे,
लूट की दौलत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे

देखें इन नकली चेहेरों की,
कब तक जय जय कार चले,
उजले कपड़ों की तह में,
कब तक काला संसार चले,
कब तक लोगों की नज़रों से,
छुपी हकीकत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे

क्या मिलिए ऐसे लोगों से,
जिनकी फितरत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये,
असली सूरत छुपी रहे
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Kya miliye aise logon se-Izzat 1968

1 comments:

Anonymous,  September 20, 2017 at 1:35 PM  

Hey vsry nice blog!

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