काल का पहिया घूमे भैया-चंदा और बिजली १९६९
को चली। कहावतें उदाहरण देने के लिए सटीक माध्यम हुआ करती हैं।
समय या युग की सीमाओं से परे, कहावतें हमेशा जवान रहती हैं। कुछ
गीतों को भी ऐसा ही दर्ज़ा प्राप्त है।
अक्सर देखा गया है कि आदमी बेईमानी और धूर्तता से जीवन यापन
करने के बाद एकदम से धार्मिक हो जाता है और कुछ ऐसा कार्य करने
लग जाता है जो उसके भूतकाल के क्रियाकलापों के एकदम विपरीत हो।
इसमें दोनों श्रेणी के लोग होते हैं-जो किसी दैवीय प्रेरणा की वजह से सुधार
की ओर अग्रसर हो रहे होते हैं और दूसरे वे लोग जो ढोंग और दिखावा करने
के लिए ऐसे कार्य करते हैं ताकि उनके नाम के साथ हो रही थू थू, वाह वाह
में तब्दील हो जाये। वाह वाह तो नहीं होती, अलबत्ता जनता दबी जुबान वही
कहावत दोहराती सुनाई देती है-नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली।
काल चक्र घूमता रहता है और ऐसे कई ढोंगियों को उसने धूल चटाई है।
हालाँकि प्रस्तुत गीत का कहावत से कोई ज्यादा लेना देना नहीं है मगर ज्यादा
मात्रा में चूहे खाने वाली बिल्लियों को ये गीत एक बार अवश्य सुनना चाहिए।
सन १९६९ की फिल्म चंदा और बिजली का जितना भी जिक्र होता है वो अधिकतर
इस गीत की ही वजह से है। गीत में अप्प दो कलाकारों को शायद पहचान पायें
-एक तो बाल कलाकार-सचिन और दूसरे उल्हास, जो बुज़ुर्ग दिखाई दे रहे हैं।
गीत परदे पर किसने गाया है, मुझे मालूम नहीं, मगर पार्श्व में इसको गा रहे हैं
मन्ना डे। कविवर गोपालदास नीरज की रचना को स्वरों से सजाया है
शंकर जयकिशन ने।
गीत के बोल:
काल का पहिया घूमे भैया
लाख तरह इंसान चले
ले के चले बारात तो
कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
काल का पहिया घूमे भैया
लाख तरह इंसान चले
ले के चले बारात कभी तो
कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
जनक की बेटी अवध की रानी
सीता भटके बन बन में
जनक की बेटी अवध की रानी
सीता भटके बन बन में
राह अकेली
राह अकेली, रात अँधेरी
मगर जतन हैं दामन में
साथ ना जिसके चलता कोई
साथ ना जिसके चलता कोई
उसके साथ भगवन चले
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
हाय री किस्मत कुंवर कन्हैया
स्वाद ना जाने माखन का
हाय री किस्मत कुंवर कन्हैया
स्वाद ना जाने माखन का
हंसी चुराए
हंसी चुराए फूलों की
वो कंस है माली उपवन का
भूल ना पापी, मगर पाप की
भूल ना पापी, मगर पाप की
ज्यादा नहीं दुकान चले
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
काल का पहिया घूमे भैया
लाख तरह इंसान चले
ले के चले बारात कभी तो
कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि
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Kaal ka pahiya ghoome bhaiya-Chanda aur bijli 1969
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