किसका रस्ता देखे-जोशीला १९७३
जेल की सलाखों के पीछे बंद नौजवान एक दिमाग का दही बनाने
वाला गीत कैसे गा सकता है. सोचने वाली बात है.
पढ़ा लिखा नौकरीपेशा नायक हालातों के चलते सलाखों के पीछे पहुँच
जाता है. वहाँ वो इस उम्मीद में गीत गा रहा है मानो नक्कारखाने
में तूती की आवाज़ सुनने वाला कोई आ जायेगा. और, आ भी जाता
है, सुन्दर नायिका जिसके आने के बाद उसकी जिंदगी में फिर से बहार
लौटने वाली है. अपनी यादों में लुडकते लड़खड़ाते वो आखिर मंजिल की
सीढ़ियों पर फिर से पहुँच जाता है. दो नायिकाएं दिखाई देती हैं गीत
में-राखी और हेमा मालिनी. जेलर की भूमिका में हैं मनमोहन कृष्ण.
बोल साहिर के हैं और धुन राहुल देव बर्मन की. गायक को आप पहचान
ही गए होंगे. गीत की पञ्च लाइन है-कोई नहीं जो यूँ ही जहाँ में, बाँटे
पीर पराई.
गीत के बोल:
किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
मीलों है ख़ामोशी, बरसों है तन्हाई
भूली दुनिया कभी की, तुझे भी मुझे भी
फिर क्यों आँख भर आई
हो, किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
कोई भी साया नहीं राहों में
कोई भी आएगा ना बाहों में
तेरे लिए मेरे लिए, कोई नहीं रोनेवाला ओ
झूठा भी नाता नहीं चाहों में
हाय, तू ही क्यों डूबा रहे आहों में
कोई किसी संग मरे, ऐसा नहीं होने वाला
कोई नहीं जो यूँ ही जहाँ में, बाँटे पीर पराई
हो, किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
तुझे क्या बीती हुई रातों से
मुझे क्या खोई हुई बातों से
सेज नहीं चिता सही, जो भी मिले सोना होगा
गई जो डोरी छूटी हाथों से
हो, लेना क्या टूटे हुए साथों से
खुशी जहाँ माँगी तूने, वहीं मुझे रोना होगा
ना कोई तेरा ना कोई मेरा, फिर किसकी याद आई
हो, किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
मीलों है ख़ामोशी, बरसों है तन्हाई
भूली दुनिया कभी की, तुझे भी मुझे भी
फिर क्यों आँख भर आई
किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
............................................
Kiska rasta dekhe-Joshila 1973
0 comments:
Post a Comment