प्यासी हिरनी बन बन धाए-दो दिल १९६४
'दो दिल' का एक गीत जिसे गा रही हैं लता मंगेशकर. वी शांताराम
की पुत्री राजश्री दो दिल फिल्म में नायिका हैं. नायक हैं विश्वजीत.
गीत कैफ़ी आज़मी का लिखा हुआ है.
कुछ भूतिया फिल्मों के गीतों सा शुरू होता है ये गीत. नयिका खुद
दौड लगा रही है और नायक की भी जोगिंग की प्रैक्टिस करवा रही है.
अब इतना मधुर गीत कोई सुन्दर बाला गाती हुई जंगल में दिख
जाए तो अच्छे अच्छे दौड लगा दें उसे देख कर.
गीत के बोल :
कहाँ है तू
तू कहाँ है
आ जा ,ऐ मेरे मेरे सपनों के राजा
प्यासी हिरनी बन बन धाए
कोई शिकारी आये रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
कोई शिकारी आये रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
नयी नयी कली खिली
चुन ले न कोई
नयी नयी कली खिली
चुन ले न कोई
ऐसी वैसी बातें दिल की
सुन ले न कोई
मन हंसा जिया मोरा
जाने क्या गाये रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
कोई शिकारी आये रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
चलते चलते रुक जाऊं मैं
चल नहीं पाऊँ
चलते चलते रुक जाऊं मैं
चल नहीं पाऊँ
पल पल भड़के तन में अग्नि
कैसे बुझाऊँ
लगी न बुझे कहीं
जी को जलाये रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
एक तो मैं हूँ भोली भाली
दूजे अकेली
एक तो मैं हूँ भोली भाली
दूजे अकेली
कैसे बूझी जाए मोसे
मन की पहेली
चली है हवा नयी
जिया घबराए रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
कोई शिकारी आये रे
चोरी चोरी फंदा डाले
बांह पकड़ ले जाए रे
प्यासी हिरनी बन बन धाए
..................................
Pyasi hirni ban ban dhaaye-Do Dil 1964
Artist: Rajshri,
0 comments:
Post a Comment