बहारों ने मेरा चमन लूट कर-देवर १९६६
जिंदगी में बहुत कुछ सरप्राइज़ गिफ्ट सरीखा प्राप्त होता है। फिल्म में नायक
जिस युवती से प्रेम करता है उसकी शादी नायक के मित्र से हो जाती है।
कुछ कुछ धोखे वाली कहानी है। धोखा नायक का मित्र देता है । नायक
घटनाक्रम बदलते ही नायिका का देवर बन जाता है। अपनी भावनाओं को
वो गीत के माध्यम से कैसे व्यक्त कर रहा है सुनिए आनंद बक्षी के बोलों,
मुकेश की आवाज़ और रोशन के संगीत में। नायक हैं धर्मेन्द्र, दूल्हा बने हैं
देवेन वर्मा और नायिका हैं शर्मीला टैगोर । आनंद बक्षी के लेखन कौशल के
अगर आप कायल नहीं हैं तो इस गीत को ध्यान से एक बार सुन लीजिए।
गीत के बोल:
बहारों ने मेरा चमन लूटकर
खिज़ां को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया
किसी ने चलो दुश्मनी की मगर
इसे दोस्ती नाम क्यों दे दिया
बहारों ने मेरा चमन लूटकर
मैं समझा नहीं ऐ मेरे हमनशीं
सज़ा ये मिली है मुझे किस लिये
सज़ा ये मिली है मुझे किस लिये
के साक़ी ने लब से मेरे छीन कर
किसी और को जाम क्यों दे दिया
बहारों ने मेरा चमन लूटकर
मुझे क्या पता था कभी इश्क़ में
रक़ीबों को कासिद बनाते नहीं
रक़ीबों को कासिद बनाते नहीं
खता हो गई मुझसे कासिद मेरे
तेरे हाथ पैगाम क्यों दे दिया
बहारों ने मेरा चमन लूटकर
खुदाया यहाँ तेरे इन्साफ़ के
बहुत मैंने चर्चे सुने हैं मगर
बहुत मैंने चर्चे सुने हैं मगर
सज़ा की जगह एक खतावार को
भला तूने ईनाम क्यों दे दिया
बहारों ने मेरा चमन लूटकर
खिज़ां को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया
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Baharon ne mera chaman loot kar-Devar 1966
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