Aug 2, 2011

पुरवा सुहानी आई रे –पूरब और पश्चिम १९७०

पुरुष के समर्पण के चरम के बारे में 'पूरब और पश्चिम' फिल्म के
पिछले गीत में चर्चा हुई थी। इस फिल्म में नारी का इंतज़ार भी है।
गीत में दिखाई देने वाली देसी बाला फिल्म के नायक से मन ही मन
प्यार करती है। फिल्म का नायक विलायती बाला से प्रेम करता है। इस
प्रेम त्रिकोण में चौथा कोण प्रस्तुत गीत में प्रकट होकर मुखर होता है
जो ढोल बजा रहा है-नायक नंबर दो यानि विनोद खन्ना । वो देसी
बाला से प्रेम करता है। गीत का आकर्षण नायिका नंबर एक के चुस्त
कपडे और नायिका नंबर दो का आकर्षक नृत्य है।

इस खालिस देसी धुन को तैयार किया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत
में कहानी कही है इन्दीवर ने।






गीत के बोल:



कही न ऐसी सुबह देखी
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ जैसे बालक की मुस्कान या फिर दूर कहीं  मंदिर में आ आ आ आ आ
हलकी सी मुरली की तान गुरुबानी गुरुद्वारे में तो मस्जिद से उठती अजान
आत्मा और परमात्मा मिले जहाँ
यही है वो स्थान


ढोली ढोल बजाना
ताल से ताल मिलाना
ढोली ढोला ढोली ढोला
ढोली ढोल बजाना
ता ता थैया तक तक थैया
ताल से ताल मिलाना


पुरवा सुहानी आई रे पुरवा
पुरवा सुहानी आई रे पुरवा
ऋतुओं की रानी आई रे पुरवा
मेरे रुके नहीं पांव
प्रीत पे जवानी छाई रे, पुरवा

पुरवा सुहानी आई रे पुरवा

मौसम का मुसाफिर खड़ा रस्ते में
ला ला ला ला ला ला ला ला ला
हो ओ मौसम का मुसाफिर खड़ा रस्ते में
उसके हाथों सब कुछ लुटा सस्ते में
छोटी सी उमरिया है
लंबी सी डगरिया रे
जीवन है परछाई रे, पुरवा

पुरवा सुहानी आई रे पुरवा

हो ढोली ढोल बजाना
हो ताल से ताल मिलाना

कर ले कर भी ले प्यार की पूजा
ना ना ना ना ना ना ना ना
हो, कर ले कर भी ले प्यार की पूजा
प्यार के रंग पे चढ़े न रंग दूजा
क्या ये कोई सपना है
मेरे लिए अपना है
बात मेरी बन आई रे पुरवा

पुरवा सुहानी आई रे पुरवा

हो मीरा सी दीवानी रे नाचे मस्तानी
मीरा सी दीवानी रे नाचे मस्तानी
होंठों पर हैं गम तो आँखों में पानी
घुँघरू दीवाने हुए
रिश्ते पुराने हुए
गीत में कहानी गाई रे पुरवा

पुरवा सुहानी आई रे पुरवा
पुरवा सुहानी आई रे पुरवा
ऋतुओं की रानी आई रे पुरवा
मेरे रुके नहीं पांव
प्रीत पे जवानी छाई रे, पुरवा

पुरवा सुहानी आई रे पुरवा

हो ढोली ढोल बजाना
हो ताल से ताल मिलाना
ढोली ढोल बजाना
ताल से ताल मिलाना
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Purwa suhani aayi re-Purab aur paschim 1970

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