यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा -दिल एक मंदिर १९६३
अरसे बाद एक मित्र से मुलाक़ात हुई एक हॉस्पिटल में । बहुत दिनों
बाद मिले तो वे कुछ भावुक और कुछ हॉस्पिटेबल से हो उठे। उनका
हॉस्पिटल में हॉस्पिटेबल होना कुछ अनूठा सा लगा। अस्पताल के कैंटीन
में वे चाय और समोसे के लिए आग्रह करने लगे। ज्ञात हो वे अपनी तरफ
से आग्रह वैसे भी कम किया करते थे और हम लोगों से आग्रह की अपेक्षा
रखने वालों में से एक थे। ये उन दिनों की बात है जब हम लोग एक शैक्षणिक
संस्था में कुछ क्षण के लिए ज्ञान के छींटे और अनुभव बटोरने जाया करते थे।
हमने भी कुछ पुराने ज़माने का उधार वसूलने वाले अंदाज़ में ४ समोसे डकार
लिए जो सामान्य व्यक्ति और बीमार दोनों के लिए समान रूप से उपयुक्त लगते
थे स्वाद में। बस, ताज़े बने हुए थे इसलिए हम उसे पूड़ी-सब्जी वाले अंदाज़ में
खा गए। उसके बाद हैं थोड़ी सी शर्म अवश्य आई इस बात को ले कर कि अस्पताल
में हम मरीज़ के हाल-चाल जानने के बजाये पेट भरने का कार्य कर रहे हैं। शायद
ये भाव जो मन में उपजा वह हमारे मित्र कि अंतरात्मा से निकले स्वर की वजह से
हुआ हो:अरे यार ऐसे ठूंस रहे हो जैसे जन्म जन्मांतर से भूखे हो। उनके चेहरे पर
समोसे खाने की प्रक्रिया के बाद हॉस्पिटलिटी वाले भाव नदारद थे और जो भाव थे
उनको देख के हमारे मन में “पिटी” वाले भाव उभारना शुरू हो गए।
हुआ यूँ वे अपने किसी बीमार मित्र को देखने वहां आये हुए थे । बीमार शब्द से याद
आया–बीमा+मार । हर एक को बीमा अवश्य करवा लेना चाहिए। कम से कम वो
बीमारी की मार(इलाज़ का खर्चा)से तो कुछ हद तक बचेगा।
आइये आपको अस्पताल की पृष्ठभूमि पर बना एक गीत सुनवाते हैं। इस गीत में भी
आपको अस्पताल के कुछ हिस्से दिखलाई दे जायेंगे। नायक एक्स रे की फिल्म देखते
देखते अतीत की सुनहरी यादों में खो खो जाता है। फिल्म की कहानी अस्पताल में
घूमती है। अभी तो फिल्म के नायक नायिका खुशनुमा से गीत में खुश दिखायी दे रहे
हैं। आगे आने वाले गीतों में हम चर्चा करेंगे फ़िल्मी अस्पताल के बारे में।
गीत है फिल्म दिल एक मंदिर से जिसमें राजेंद्र कुमार और मीना कुमारी एक रोमांटिक
गीत में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं जिसे लिखा है हसरत जयपुरी ने और इसकी
धुन बनाई है शंकर जयकिशन ने।
गीत के बोल:
यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा
कहती है झूमती गाती हवा
तुम सबको छोड़ कर आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ
तुम सबको छोड़ कर आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ
बादल भी बन के पानी एक दिन तो बरसता है
लोहा भी जल के आग में एक दिन तो पिघलता है
जिस दिल में हो मोहब्बत एक दिन तो तडपता है
यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा
कहती है झूमती गाती हवा
तुम सबको छोड़ कर आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ
तुम सबको छोड़ कर आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ
तेरे मन की उलझनें सुलझाना चाहता हूँ
तुझे आज से अपनी मैं बनाना चाहता हूँ
मन के सुनहरे मंदिर में बिठाना चाहता हूँ
यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा
कहती है झूमती गाती हवा
तुम सबको छोड़ कर आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ
तुम सबको छोड़ कर आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ
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Yahan koi nahin tera mere siwa-Dil ek mandir 1963
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