मुझे मत रोको-सरगम १९७९
गीत सुनते हैं. इसे रफ़ी ने गाया है. गीत आनंद बक्षी
का है.
संगीत प्रधान फ़िल्में बना कर सफल करा पाना किसी
टेढ़ी खीर से कम नहीं है. दर्शक मसालेदार फिल्म का
आदी हो चुका होता है उसे एकदम से सादा दलिया और
खिचड़ी परोस दो तो वो बीमार सा महसूस करने लगता
है. एक और पेचीदगी है पटकथा में-नायिका गूंगी है. ऐसे
में फिल्म को दर्शक स्वीकार लें उसके लिए ऐसा कुछ
करना पड़ेगा जिससे पात्र से दर्शक को सहानुभूति होने
लगे और वो कुर्सी से चिपका रहे.
इन सब चीज़ों ख्याल करते हुए ही स्क्रिप्ट ऐसी लिखी
जाती है जिसमें निर्देशक की इच्छा भी पूरी हो जाये
और दर्शक को बीमारों वाला खाना भी ना खाना पड़े.
फिल्म का गीत-संगीत पक्ष बेहद मजबूत है.
गीत के बोल:
आ आ आ आ आ
मुझे मत रोको
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
जो होता है
जो होता है हो जाने दो
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
मैं ज़िन्दा हूँ ये क्या कम है
जब तक इन हाथों में दम है
डफ़ली वाले को डफ़ली बजाने दो
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
ना सोना ना चाँदी ना घोड़े ना हाथी
ना सोना ना चाँदी ना घोड़े ना हाथी
मेरे गीत मेरे साथी मैं हूँ दूल्हा ये बाराती
मुझे गीतों की डोली
मुझे गीतों की डोली सजाने दो
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
आ आ आ आ ..........
मैं भी हूँ मुश्क़िल में तू भी है मुश्क़िल में
मैं भी हूँ मुश्क़िल में तू भी है मुश्क़िल में
तेरा ग़म है मेरे दिल में मेरा ग़म है तेरे दिल में
इस दिल को ज़रा
इस दिल को ज़रा को बहलाने दो
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
जो होता है
जो होता है हो जाने दो
मुझे मत रोको मुझे गाने दो
मुझे मत रोको
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Mujhe mat rook mujhe-Sargam 1979
Artist: Rishi Kapoor
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