मेरा परदेसी न आया-मेरे हमसफ़र १९७०
बार अवश्य देख लें. अगर आप शर्मिला टैगोर के फैन हैं
तो अवश्य ही देखें.
फिल्म के कथानक में बलराज साहनी एक फिल्म निर्देशक
हैं और वो एक गीत फ़िल्मा रहे हैं नई नायिका को ले कर.
फिल्म लाइन में क्या होता है उसकी एक झलक वो भी
५ प्रतिशत इस फिल्म में समझाने की कोशिश की गई है.
कड़वी सच्चाइयों को कोई भी पचा नहीं पाता. चमकते
परदे के पीछे कितनी धूल और जाले लगे हैं वो किसी को
दिखलाई नहीं देते.
आनंद बक्षी की रचना है और कल्याणजी आनंदजी का
संगीत. कुछ क्रशर या पत्थर की खदान के जैसा सेट है.
ज़मीन से पत्थर निकालने के बाद जो उसकी स्तिथि हो
जाती है वैसा कुछ है. आश्चर्यजनक रूप से उस जगह
पर कैक्टस और घास दोनों मौजूद हैं. पानी तो खैर उन
गड्ढों में भर ही जाता है.
गीत के बोल:
मेरा परदेसी न आया
मेरा परदेसी न आया
हो मेरा परदेसी न आया
सबके मन मीत मिले हैं
बाग़ों में फिर फूल खिले हैं
मेरा मन मुरझाया
मेरा परदेसी न आया
सावन बरसा यूँ मन तरसा मैं जी भर के रोई
सावन बरसा यूँ मन तरसा मैं जी भर के रोई
जिसने देखा पागल समझा ये न समझा कोई
मेरा परदेसी न आया
हो मेरा परदेसी न आया
याद में किसकी जाने ज़ुल्मी भूल गया बिरहन को
याद में किसकी जाने ज़ुल्मी भूल गया बिरहन को
राह में जाने किस सौतन ने रोक लिया साजन को
मेरा परदेसी न आया
हो मेरा परदेसी न आया
साँझ-सकारे ये कह कह के छेड़े दुनिया सारी
साँझ-सकारे ये कह कह के छेड़े दुनिया सारी
वो आती है वो जाती है इक बिरहा की मारी
मेरा परदेसी न आया
हो मेरा परदेसी न आया
सबके मन मीत मिले हैं
बाग़ों में फिर फूल खिले हैं
मेरा मन मुरझाया
मेरा परदेसी न आया
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Mera pardesi na aaya-Mere humsafar 1970
Artists: Sharmila Tagore
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