चलो दिलदार चलो(एकल गीत)-पाकीज़ा १९७१
है. इसको बनने में १६ साल का वक्त लगा और पैसे कितने लगे होंगे
इसका हम केवल अनुमान लगा सकते हैं. मीना कुमारी इस फिल्म
की रिलीज़ के कुछ समय बाद ही इस संसार से कूच कर गयीं थीं.
आज इस फिल्म को कल्ट क्लासिक का दर्ज़ा प्राप्त है. फिल्म अपने
उम्दा संगीत के लिए भी याद की जाती है. गुलाम मोहम्मद जैसे
प्रतिभावान संगीतकार को जीवन में वो शोहरत नसीब नहीं हुई जिसके
वे हकदार थे. इस फिल्म के पदार्पण के पूर्व ही वे संसार को अलविदा
कह गए. फिल्म का पार्श्व संगीत नौशाद ने तैयार किया. नियति को
क्या मंज़ूर होता है किसे मालूम. वो इंसान को ९९ सीढियां चढवा के
लुढ़का देती है तो किसी को १० वी सीढ़ी से सीधे १०० वी पर पहुंचा
देती है. सांप सीढ़ी का खेल किसी किस्मत के मारे ने ही बनाया होगा
ऐसा मेरा अनुमान है.
फिल्म से लता का गया हुआ एक गीत सुनते हैं. इस गीत का युगल
तर्जुमा ज्यादा पॉपुलर है. गीत कैफ भोपाली का लिखा हुआ है.
गीत के बोल:
चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो
हम हैं तैयार चलो
चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो
हम हैं तैयार चलो
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Chalo dildar chalo-Pakeezah 1971
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