तुम हमसे मिलो हम तुमसे मिलें-मेरे हमसफ़र १९७०
इंट्रोडक्शन पार्टी चल रही है. गीत के माध्यम से उसके और
नायक के बीच किस तरह दूरी पैदा हो गई गई उसे गाने के
माध्यम से समझा रही है.
सिचुएशनल गीतों में ये एक लाजवाब गीत है जिसमें प्यानो
पर बैठे बलराज साहनी का अभिनय लाजवाब है. नायक के
चेहरे पर हताशा का भाव आता है और वो एक अंतरा सुन के
पार्टी से खिसक लेता है.
गीत आनंद बक्षी का है और इसे लता मंगेशकर ने गाया है.
वीडियो अपलोडर का दिल से शुक्रिया.
गीत के बोल:
तुम हमसे मिलो हम तुमसे मिलें ये लोगों को मंज़ूर नहीं
मंज़ूर नहीं
तुम हमसे मिलो हम तुमसे मिलें ये लोगों को मंज़ूर नहीं
मंज़ूर नहीं
वो बात भला फिर कैसे हो जो दुनिया का दस्तूर नहीं
दस्तूर नहीं
होंठों पे हँसी ला के अपने अश्क़ों को छुपाया है हमने
आँखें भी चुराई हैं हमने दामन भी बचाया है हमने
ओ ओ ओ ओ
ये याद रहे लेकिन तुमको मजबूर है हम मग़रूर नहीं
मग़रूर नहीं
तुम हमसे मिलो हम तुमसे मिलें ये लोगों को मंज़ूर नहीं
मंज़ूर नहीं
दुनिया की दीवारें लेकिन ये उल्फ़त तोड़ भी देती है
ये टूटे दिल टूटे रिश्ते ये क़िस्मत जोड़ भी देती है
ओ ओ ओ ओ
जिस दिन हम तुम मिल जायेंगे वो दिन शायद अब दूर नहीं
अब दूर नहीं
तुम हमसे मिलो हम तुमसे मिलें ये लोगों को मंज़ूर नहीं
मंज़ूर नहीं
वो बात भला फिर कैसे हो जो दुनिया का दस्तूर नहीं
दस्तूर नहीं
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Tum hamse milo-Mere humsafar 1970
Artists: Sharmila Tagore, Jeetendra, Balraj Sahni
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