मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू-झुमरू १९६१
गीतों को सुनते सुनते कुछ अंतराल के बाद उसकी बारीकियां पकड़ में
आने लगती हैं और गुनगुनाने वाले का मुगालता ख़त्म हो जाता है कि वह
इसे बढ़िया ढंग से गा रहा है। ये बात दीगर है कि कुछ ओर्केस्ट्रा के कलाकारों
को ये मुगालता ता-उम्र बना रहता है। आज आपको एक गीत ऐसा सुनवाते हैं
जिसे मैंने जितनी बार इधर उधार सुना बिगड़ा हुआ ही सुना। इसकी हू-ब-हू
कॉपी करना असंभव है। गीत कठिनतम गीतों में से एक है और गायक का
अनूठा अंदाज़ इसमें अपने चरम पर है।
फिल्म का नाम है झुमरू और ये फिल्म का शीर्षक गीत है। गीत लिखा है
मजरूह सुल्तानपुरी ने और इसकी धुन स्वयं किशोर कुमार ने बनाई है ।
गीत के बोलों में जो योड्लिंग के साथ साथ कुछ अन्य शब्दों का समावेश भी
है जिसे आप स्वयं समझिये।
गीत के बोल:
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फक्कड़ घुँघरू बन के घूमूं
मैं ये प्यार का गीत सुनाता चला
मंजिल पे मेरी नज़र
मैं दुनिया से बेखबर
बीती बातों पे धूल उड़ाता चला
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फक्कड़ घुँघरू बन के घूमूं
मैं ये प्यार का गीत सुनाता चला
मंजिल पे मेरी नज़र
मैं दुनिया से बेखबर
बीती बातों पे धूल उड़ाता चला
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फक्कड़ घुँघरू बन के घूमूं
साथ में हमसफ़र ना कोई कारवां,
भोला भाला सीधा साधा
लेकिन दिल का हूँ शहज़ादा
है ये मेरी ज़मीन ये मेरा आसमान
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फक्कड़ घुँघरू बन के घूमूं
प्यार सीने मैं है हर किसी के लिए
मुजको प्यारा हर इंसान
दिलवालों पे हूँ कुर्बान
ज़िन्दगी है मेरी ज़िन्दगी के लिए
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फक्कड़ घुँघरू बन के घूमूं
मैं ये प्यार का गीत सुनाता चला
मंजिल पे मेरी नज़र
मैं दुनिया से बेखबर
बीती बातों पे धूल उड़ाता चला
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Main hoon jhum jhum jhum jhum jhumroo-jhumroo 1961
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