कभी गम से दिल लगाया-डाकू १९७५
ये शब्द शायद इस ब्लॉग के पाठक ज़रूर सोच रहे होंगे. कुछ
स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के चलते इधर ध्यान नहीं दे पाने
का खेद है.
आज एक फरमाईशी गीत. फिल्म का नाम है डाकू. फिल्म का
निर्माण उन्हीं सज्जन ने किया है जिन्होंने तीसरी कसम निर्देशित
की थी और उस तीसरी कसम ने शैलेन्द्र का सुख-चैन और जीवन
छीन लिया था. बासु नाम के दो निर्देशकों में मुझे चटर्जी साहब
ज्यादा पसंद हैं.
सत्तर के दशक का एक हॉट टोपिक था-डाकू. कई सफल असफल
फ़िल्में बनीं उस दौर में. एक है “डाकू” ये निराशाजनक है कि डाकू
नाम से बनी हुई फिल्म असफल हुई. इस फिल्म का गाना अलबत्ता
बहुत चर्चित हुआ नरेन्द्र चंचल का गाया हुआ-कभी गम से दिल
लगाया. इसे चमन लाहौरी नाम के कम प्रसिद्ध गीतकार ने लिखा है.
संगीत भी कम प्रसिद्ध संगीतकार श्याम जी-घनश्याम जी ने दिया है.
बोल बढ़िया हैं गीत के . आज के ‘पहाड पे चढ के ऊंचे सुर में गीत
गाने वाले’ दौर में ये गीत नयी पीढ़ी को भी पसंद आएगा ऐसा मेरा
अनुमान है.
गीत के बोल:
कभी गम से दिल लगाया, हो
कभी अश्क के सहारे
कभी शब् गुज़ारी रो के
कभी गिन के चाँद तारे
कभी गिन के चाँद तारे
कभी गिन के चाँद तारे
कभी गम से दिल लगाया
गम-ऐ-आशिकी के सदमे
मुझे और देना हमदम
गम-ऐ-आशिकी के सदमे
मुझे और देना हमदम
मेरे दिन गुज़र रहे हैं
मेरे दिन गुज़र रहे हैं
तेरी याद के सहारे
तेरी याद के सहारे
तेरी याद के सहारे
तेरी याद के सहारे
कभी गम से दिल लगाया
गुलशन परस्त मैं हूँ
अहल-ए-चमन से कह दो
गुलशन परस्त मैं हूँ
खूने जिगर से हमने
खूने जिगर से हमने
फूलों के रुख निखारे
फूलों के रुख निखारे
फूलों के रुख निखारे
कभी गम से दिल लगाया
तुझे वास्ता खुदा का
ज़रा देख ले इधर भी
तुझे वास्ता खुदा का
घबरा के मर न जाए
घबरा के मर न जाए
शब्-ए-हिज्र गम के मारे
शब्-ए-हिज्र गम के मारे
शब्-ए-हिज्र गम के मारे
शब्-ए-हिज्र गम के मारे
कभी गम से दिल लगाया
मौजों में है दफीना
है ना खुदा करूं क्या
मौजों में है दफीना
डूबे हुए हैं मेरी
डूबे हुए हैं मेरी
उम्मीद के कनारे
उम्मीद के कनारे
उम्मीद के कनारे
उम्मीद के कनारे
कभी गम से दिल लगाया
ठुकरा रही है दुनिया
हर गाम पे मुझी को
ठुकरा रही है दुनिया
कोई नहीं है ऐसा
कोई नहीं है ऐसा
तकदीर जो संवारे
तकदीर जो संवारे
तकदीर जो संवारे
तकदीर जो संवारे
कभी गम से दिल लगाया
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Kabhi gham se dil lagaya-Daaku 1975
3 comments:
keval aapne hi poora gana likha hai. thank you.i think there are two mistakes first dafina should be safina and second jaam should be gaam [manjil]
धन्यवाद आपको. इस ब्लॉग को आपके जैसे पाठकों की शुरू से ज़रूरत
रही मगर मिल ना पाए. इस पोस्ट पर पहले ६ कमेंट्स थे जो हमने
हटा दिए. किसी ने भी गलती की तरफ ध्यान आकृष्ट नहीं किया.
ब्लॉग पर से तकरीबन २५०० कमेंट्स थे जो पूरे साफ़ हो गए गलती
से. कुछ मसखरी वाले और बेहूदा कमेंट्स थे उनको हटाने के चक्कर
में पूरे साफ़ हो गए.
नरंद्र चंचल का उच्चारण साफ़ नहीं है-दफीना और सफीना मामले में.
वैसे सही शब्द वही है जो आपने बतलाया है. जाम और गाम वाला
कन्फ्यूज़न ज़रूर दूर कर दिया है.
Good song
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