छोटी सी कहानी से -इज़ाज़त १९८७
गुलज़ार साहब एक दिन लेख नुमा गीत लेकर आर डी बर्मन के घर
पहुंचे और किस तरह आर डी ने ये कह कर कि-कल को तुम टाइम्स ऑफ
इंडिया की हेडलाइन लाकर आओगे और बोलोगे इसे कोम्पोज़ करो गीत
की धुन बनाने से मन किया. मगर पुनर्विचार कर इस पर काम शुरू हुआ
और जो हुआ वो सब जानते हैं इतिहास बन गया. गीत के लिए आशा भोंसले
को को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ. गुलज़ार और राहुल देव बर्मन दोनों ही
अलग हट के/लीक से हट कर काम करने के लिए जाने जायेंगे आनेवाले
लंबे समय तक.
इन सब लेखों में जिस बात का जिक्र कम होता है वो है अनुराधा पटेल की
अदाएगी का. नसीर के बराबर नहीं मगर कम से कम इस गीत में तो वे
कहीं से भी उन्नीस नहीं हैं. अनुराधा पटेल का नाम भले ही उम्दा अदाकाराओं में
शुमार न होता हो, इस गीत में उन्होंने वो जादुई अहसास जगाया है कि दर्शक
बंधा रह जाता है गीत से. इस गीत का पूर्ण आनंद इसका विडीयो देख कर ही
प्राप्त होता है. माया नाम का किरदार वाकई मायावी सा है.
गीत की एक और विशेषता है इसमें उल्हास बापट द्वारा संतूर बजाय जाना.
आज आपको दूसरा गाना सुनवाया जा रहा है इस फिल्म का जिसमें महानायिका
रेखा हैं. इनकी अदाकारी पर कुछ कहना दिए को टोर्च की रौशनी दिखाना है. इस
गीत में मनमोहक बांसुरी है, किसने बजायी है पता चलते ही आपको सूचित
करूँगा. एक जानकारी आपके लिए और-ये रिलीज़ हुई फिल्मों में रेखा की
६९ वीं फिल्म थी.
गीत के बोल:
छोटी सी कहानी से
बारिशों के पानी से
सारी वादी भर गयी
ना जाने क्यों, दिल भर गया
ना जाने क्यों, आँख भर गयी
शाखों पे पत्ते थे, पत्तों पे बूंदे थी
बूंदो में पानी था, पानी में आंसू थे
दिल में गिले भी थे, पहले मिले भी थे
मिल के पराये थे, दो हमसाये थे
रुकती है थमती है कभी बरसती है
बादल पे पाँव रख के बारिश मचलती है
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Chhoti si kahan se-Izazat 1987
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