दो नैना मतवारे तिहारे-माय सिस्टर १९४४
अब दूसरा गीत भी सुन लीजिए. गीत की पंच लाइन है-"मदभरे
रसीले निठुर बड़े". कवि के दिमाग में ये कल्पनाएँ अपने आप
आ जाती हैं या किसी प्रेरणा से आती हैं, इसका जवाब खोजिये.
इससे ज्यादा इस गीत और इसकी गायकी पर बोलना शब्द जाया
करने वाली बात होगी मेरे लिए. बड़े बड़े संगीत-और-सहगल भक्त
पहले ही कई लंबे-लंबे निबंध लिख चुके हैं इस गीत पर. अब इस
आलेख को बड़ा करने के लिए अगर आप सुनना चाहते हैं कि ये
किसकी कौन से नंबर की फिल्म थी, फिल्म के निर्देशन के वक्त
निर्देशक ने कान खुजाया था या नहीं, फिल्म के सेट पर निम्बू
पानी का इंतजाम था या कोल्ड ड्रिंक का, तो आपको ये मज़ा
किसी और पोस्ट में दिलवा देंगे. फिलहाल तो विवरण पे जाने के
बजाए गीत का आनंद उठायें.
आपके पैसे वसूल करवाने के लिए इतना बताये देते हैं कि जो
मोहतरमा हिल-डुल रही हैं गीत में, उनका नाम है-सुमित्रा देवी.
गीत के बोल:
तन तन के चलाये तीर
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