मोहब्बत के सुहाने दिन-मर्यादा १९७१
ऐसे गीत आये हैं. कल्याणजी आनंदजी अपने मुकेश के गाये गीतों की वजह
से आम आदमी द्वारा ज्यादा अच्छे से पहचाने जाते हैं. ये उनके संगीत स्कूल
से निकला नायाब हीरा है. गीत में मूड के मुताबिक संगीत में उतार चढाव
आते जाते मिलेंगे आपको. आनंद बक्षी ने इस गीत को लिखा है. सुना जाता
है कि इस गीत को राग चारुकेशी के स्वर समूहों के आधार पे बनाया गया है.
गीत के बोल:
मोहब्बत के सुहाने दिन जवानी की हसीँ रातें
जुदाई में नज़र आती हैं ये सब ख़्वाब की बातें
मोहब्बत के सुहाने दिन
ये तन्हाई नहीं थी इस जगह थी प्यार की महफ़िल
तेरे ग़म से गले मिलकर जहाँ अब रो रहा है दिल
यहीं हँस हँस के होती थीं कभी अपनी मुलाकातें
मोहब्बत के सुहाने दिन
मेरे मायूस होंठों पे तेरे ग़म की कहानी है
कहानी ये नहीं ग़म की उल्फ़त की निशानी है
ये आँसू और ये आहें मोहब्बत की सौग़ातें
मोहब्बत के सुहाने दिन
न ऐसे दिल तड़पता था ना मैं ऐसे तरसता था
इसी गुलशन में देखो तो कभी सावन बरसता था
इसी वादी में अब होने लगीं अश्क़ों की बरसातें
मोहब्बत के सुहाने दिन
पता मैं पूछता फिरता हूँ तेरा इस ज़माने से
हुआ क्या हाल इस दिल का तेरे इक दूर जाने से
जनाज़े बन गई इस दिल के अरमानों की बारातें
मोहब्बत के सुहाने दिन जवानी की हसीँ रातें
जुदाई में नज़र आती हैं ये सब ख़्वाब की बातें
मोहब्बत के सुहाने दिन
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Mohabbat ke suhane din-Maryada 1971
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