साकिया आज मुझे नींद-साहब बीबी और गुलाम १९६२
साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी, सुना है तेरी महफ़िल में
रतजगा है. 1962 की फिल्म 'साहब बीबी और गुलाम' का ये गीत
चर्चित गीत रहा है. संगीत के कदरदानों और आकाओं ने बड़े बड़े
संगीतकारों पर चर्चा की है मगर हेमंत कुमार के संगीत पर लिखने
वाले बिरले ही हैं, आज भी. पढ़ने वाले भी तो चाहिए आखिर. चतुर
लिखने वाले उन्हीं पे चर्चा करते हैं जो मार्केट में ज्यादा चलता है.
आज भी मैं रेडियो के ज़माने के संगीत प्रेमियों की कद्र करता हूँ
जिहोनें वाकई ज्ञान अर्जित किया कड़ी मेहनत के साथ.
गीत पर लौटा जाए एक बार फिर से. विवरण इस प्रकार से है.
गीत मीनू मुमताज़ पर फिल्माया गया है जो महमूद की बहन हैं.
संगीत का ज्यादा लुत्फ़ उठाने वाले ठाकुर की भूमिका में हैं-रहमान
जिन्होंने फिल्म वक्त में चिनाय सेठ की भूमिका निभाई थी
गीत शकील बदायूनीं का लिखा हुआ है और संगीत हेमंत कुमार का
है. गायक स्वर आशा भोंसले का है.
गीत के बोल:
साकिया साकिया साकिया
आज मुझे, नींद नहीं, आएगी
नींद नहीं आएगी
साक़िया आज मुझे नींद नहीं आएगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
आँखों आँखों में यूँ ही रात गुजार जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
साक़िया आज मुझे नींद नहीं आएगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
आँखों आँखों में यूँ ही रात गुजार जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
साकी है और शाम भी, उल्फत का जाम भी
हो ओ ओ , तकदीर है उसी की जो ले इंतकाम भी
रंग-ऐ-महफ़िल है रात भर के लिए
रंग-ऐ-महफ़िल है रात भर के लिए
सोचना क्या भी सहर के लिए
सोचना क्या भी सहर के लिए
रंग-ऐ-महफ़िल है रात भर के लिए
सोचना क्या भी सहर के लिए
तेरा जलवा हो तेरी सूरत हो
और क्या चाहिए नज़र के लिए
और क्या चाहिए नज़र के लिए
आज सूरत तेरी बेपर्दा नज़र आएगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
साक़िया आज मुझे नींद नहीं आएगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
हाँ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
मुहब्बत में जो मिट जाता है
वो कुछ कह नहीं सकता
हाँ हाँ हाँ हाँ, ये वो कूचा है जिसमें
दिल सलामत रह नहीं सकता
किसकी दुनिया यहाँ तबाह नहीं
किसकी दुनिया यहाँ तबाह नहीं
कौन है जिसके लब पे आह नहीं
कौन है जिसके लब पे आह नहीं
किसकी दुनिया यहाँ तबाह नहीं
कौन है जिसके लब पे आह नहीं
उस पर दिल ज़रूर आएगा
इससे बचने की कोई राह नहीं
इससे बचने की कोई राह नहीं
जिंदगी आज नज़र मिलते ही लुट जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
हो हो हो हो हो हो हो हो
साक़िया आज मुझे नींद नहीं आएगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
आ आ आ आ आ आ आ
आँखों आँखों में यूँ ही रात गुजार जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
सुना है तेरी महफ़िल में रस जगा है
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Saakiya aaj mujhe neend nahin-Sahib biwi aur ghulam 1962

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