गोरी तेरे सपनों के सजना-नयी दिल्ली १९५६
के साथ कई फिल्मों में काम किया और स्क्रीनप्ले लिखे. सफलता के हिसाब
से वे कई बेहद सफल फिल्मों का हिस्सा बने. इस फिल्म की कहानी राधा किशन
और उन्होंने साथ लिखी ? उनके लिखे गए डायलॉग वाली फिल्मों कि चर्चा बाद में.
फिलहाल सुनते हैं फिल्म नयी दिल्ली का एक गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ
और शंकर जयकिशन के संगीत से सजा. फिल्म को रोचक बनाने में
संवाद लेखक का बड़ा योगदान होता है. अगर संवादों में चुस्तता हो तो
दर्शक कॉफी की चुस्कियां लेने थियेटर से बाहर नहीं भागेगा. जिन फिल्मों
के संवाद लचर से होते हैं, उन फिल्मों के दर्शकों को मैंने "सूं सूं निवारण"
प्रतियोगिता में भाग लेने जाते देखा है. वो तीन घंटे का समय काटे नहीं
कटता, मानो कुर्सी की सीट में से कुछ कुछ काटने लगा हो. कुछ हिम्मती
दर्शक सिनेमा हल छोड़ के जाने का साहस दिखाते हैं.
गीत के बोल:
गोरी तेरे सपनों के सजना
आये तेरे अन्गना
कर ले सोलह सिंगार, हो
हो जा जाने को अब तैयार, हो
ले के डोली खड़े हैं कहार
गोरी तेरे सपनों के सजना
आये तेरे अंगना
कर ले सोलह सिंगार, हो
हो जा जाने को अब तैयार, हो
ले के डोली खड़े हैं कहार
कल से बालम के रंग रंग जायेगी
उनके मन के महल को सजायेगी तू
ओ सजायेगी तू
बीते वो दिन भूल जाना सखी, हो
बीते वो दिन भूल जाना सखी
भूल जाना वो बचपन का प्यार
ले के डोली खड़े हैं कहार
गोरी तेरे सपनों के सजना
आये तेरे अंगना
कर ले सोलह सिंगार, हो
हो जा जाने को अब तैयार, हो
ले के डोली खड़े हैं कहार
गोरी काहे को अब तेरे नैना भरे
एक दिन तो सभी को बिछड़ना पड़े
ओ बिछड़ना पड़े
नैहर में रहना है दिन चार का
ओ नैहर में रहना है दिन चार का
सबको जाना है साजन के द्वार
ले के डोली खड़े हैं कहार
गोरी तेरे सपनों के सजना
आये तेरे अंगना
कर ले सोलह सिंगार, हो
हो जा जाने को अब तैयार, हो
ले के डोली खड़े हैं कहार
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Gori tere sapnon ke sajna-New Delhi 1956

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