हमको मन की शक्ति देना-गुड्डी १९७१
मन को सशक्त बनाने वाला गीत सुनवा रहे हैं. आजादी के
इतने सालों बाद भी भारतीय कहीं खो गया सा लगता है
भीड़ में. भीड़ तो बहुत है, भारतीयता कम होती जा रही है.
गीत में एक विचार जिसपर पूरा ध्यान फोकस किया गया
है वो ये है-दूसरों की जय के पहले खुद को जय करें. बात
सोलह आने सच है. एक बात इस सन्दर्भ में याद आती है
जो कसी बुज़ुर्ग ने बहुत पहले कही थी-पहले अपने प्रति
ईमानदार हो जाओ, बाद में दुनिया को इमानदारी दिखाना.
गीत गुलज़ार का लिखा हुआ है और उनके बेहतर गीतों में
से एक है. इसकी धुन वसंत देसी ने बनायीं है और गाया
है दक्षिण भारत की नामचीन गायिका-वाणी जयराम ने.
गीत के बोल:
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना
भेदभाव अपने दिल से, साफ़ कर सकें
भेदभाव अपने दिल से, साफ़ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो, माफ़ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो, माफ़ कर सकें
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना
मुश्किलें पड़ें तो हम पे, इतना कर्म कर
मुश्किलें पड़ें तो हम पे, इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का, चलें तो धर्म पर
साथ दें तो धर्म का, चलें तो धर्म पर
खुद पे हौसला रहे, बदी से ना डरें
खुद पे हौसला रहे, बदी से ना डरें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें
हमको मन की शक्ति देना
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Hamko man ki shakti dena-Guddi 1971
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