नाम अदा लिखना-यहाँ २००५
से कोम्बिनेशन में गीत सुनने को मिल जाते हैं.
वैराईटी मिल गयी है, लेकिन क्वालिटी गायब होती
जा रही है चाहे वो टोनल क्वालिटी हो, लिरिकल
क्वालिटी हो या म्यूजिकल क्वालिटी हो. रिदम में
एकरसता सी आती जा रही है. धाक चिक धाक
चिक और पंजाबी बोल होना शायद क्वालिटी का
पर्याय बन गया है इन दिनों. हिंदी भाषा पर इतना
अविश्वास शायद किसी भी दौर में ना हुआ होगा.
ये गीत थोड़े बेहतर गाने वालों की आवाजों में है.
बेहतर से मतलब उपलब्ध समकालीन लोगों में
बेहतर. श्रेया घोषाल की खूबी है वे सुर की पक्की
हैं सोनू निगम की तरह. उन्होंने कविता कृष्णमूर्ति
द्वारा रिक्त की गयी जगह को भर दिया है. थोडा
फायदा उनको अलका याग्निक की सक्रियता कम
होने से भी हुआ है. आज श्रेया एक प्रमुख गायिका हैं.
संगीतकार शांतनु मोइत्रा ने एक बेहतर धुन दी है.
गीत गुलज़ाराना है और इसमें चनाब में बहने की
इच्छा जताई गयी है, कुछ नया सा है. श्रेया के साथ
इस गीत में शान की आवाज़ है.
गीत के बोल:
पूछे जो कोई मेरी निशानी, रंग हिना लिखना
गोरे बदन पे ऊँगली से मेरा नाम अदा लिखना
कभी कभी आस पास चाँद रहता है
कभी कभी आस पास शाम रहती है
आओ ना आओ ना झेलम में बह लेंगे
वादी के मौसम भी इक दिन तो बदलेंगे
कभी कभी आस पास चाँद रहता है
कभी कभी आस पास शाम रहती है
आऊं तो सुबह जाऊं तो मेरा नाम सबा लिखना
बर्फ पड़े तो बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना
ज़रा ज़रा आग-वाग पास रहती है
ज़रा ज़रा कांगड़ी की आंच रहती है
कभी कभी आस पास चाँद रहता है
कभी कभी आस पास शाम रहती है
शामें बुझाने आती हैं रातें
रातें बुझाने तुम आ गए हो
जब तुम हँसते हो दिन हो जाता है
तुम गले लगो तो दिन सो जाता है
डोली उठाये आएगा दिन तो पास बिठा लेना
कल जो मिले तो माथे पे मेरे सूरज ऊगा देना
ज़रा ज़रा आस पास धूप रहेगी
ज़रा ज़रा आस पास रंग रहेंगे
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Naam Adaa Likhna- Yahaan 2005
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