जुल्फों का रंगीन साया-अंजाम १९६८
होते हैं/थे. अगर गलती से ऐसी फ़िल्में हित हो जातीं तो भी ज्ञानी उनको
"ए" श्रेणी में मानने को तैयार नहीं होते.
आपको सन १९९४ के चने के खेत -अंजाम से ले चलते हैं सन १९६८ के
अंजाम पर. फिल्म में निसार अहमद अंसारी, रंजन कपूर, फिरोज खान
हेलन और जोनी व्हिस्की प्रमुख कलाकार हैं. शाहिदा नायिका हैं . गीत
फिरोज खान और शाहिदा पर फिल्माया गया है.
गीत कमर जलालाबादी ने लिखा है और इसकी धुन बनाई है एक
संभावना से भरे संगीतकार गणेश ने. गायक कलाकार हैं मुकेश.
गीत के बोल:
क़यामत आएगी एक रोज हम ये सुनते थे
मगर हुजुर तो हर रोज चले आते हैं
जुल्फों का रंगीन साया
जुल्फों का रंगीन साया, है तौबा खुदाया
तुम्हारी ये जवानी सलामत रहे
जुल्फों का रंगीन साया, है तौबा खुदाया
तुम्हारी ये जवानी सलामत रहे
जुल्फों का रंगीन साया
भीगी फिजाएं देखो चंचल हवाएं देखो
दिल की सदा है यही चुप न रहो
जागे हैं अरमान मेरे मुखड़े पे गेसू तेरे
दिन हैं कहीं रात बोलो कुछ तो कहो
बोलो न बोलो हमसे कहेंगे ये तुमसे
तुम्हारी ये जवानी सलामत रहे
जुल्फों का रंगीन साया
हाय ये अदाएं तेरी तुझसे बहारें मेरी
गुल भी पुकारे तुझे बाद-ऐ-सबा
दुनिया बनाने वाला तुझको बना के गोरी
रूप बनाना हाय भूल गया
तुम्हारा है ज़माना बना दो दीवाना
तुम्हारी ये जवानी सलामत रहे
जुल्फों का रंगीन साया, है तौबा खुदाया
तुम्हारी ये जवानी सलामत रहे
जुल्फों का रंगीन साया
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Zulfon ka rangeen saaya-Anjaam 1968
Artist: Feroz Khan, Shahida

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