Jan 7, 2015

लूटे कोई मन का नगर-अभिमान १९७३


फ़िल्मी गीतों में डबिंग आर्टिस्ट नाम का किरदार होता है एक.
डबिंग आर्टिस्ट से पहले गाना गवा लिया जाता है और बाद में
प्रमुख गायक/गायिका की आवाज़ में वो गीत रेकोर्ड किया जाता
ये चलन पहले काफी था अब कम है. इस गीत के साथ किस्सा
यूँ है-मनहर ने इस गीत को डबिंग आर्टिस्ट के तौर पर गाया .
मुकेश ने जब इसे सुना तो निवेदन किया कि इसे फिल्म में
रहने दिया जाए. निवेदन मान लिया गया. फिल्मों के इतिहास
में कोई ऐसी फिल्म नहीं जिसमें लता-रफ़ी, लता-किशोर और
लता-मुकेश के युगल गीत एक साथ हों. अगर ऐसा होता तो
एक इतिहास बन जाता. ये उस ज़माने की फिल्म है जब "बिग"
जया और अमिताभ केवल "बी" हुआ करते थे. जया स्थापित
अभिनेत्री थीं  और अमिताभ नवागंतुक अभिनेता. गीत आकर्षक
धुन वाला है और मेरे हिसाब से इसे ज्यादा गुनगुनाया है जनता ने
बनिस्बत फिल्म के दूसरे युगल गीतों के.



गीत के बोल: 



लूटे कोई मन का नगर बन के मेरा साथी
लूटे कोई मन का नगर बन के मेरा साथी
कौन है वो, अपनों में कभी, ऐसा कहीं होता है,
ये तो बड़ा धोखा है

लूटे कोई मन का नगर बन के मेरा साथी

यहीं पे कहीं है, मेरे मन का चोर
नज़र पड़े तो बइयाँ दूँ
यहीं पे कहीं है, मेरे मन का चोर
नज़र पड़े तो बइयाँ दूँ
जाने दो, जैसे तुम प्यारे हो,
वो भी मुझे प्यारा है, जीने का सहारा है
देखो जी तुम्हारी यही बतियाँ मुझको हैं तड़पातीं

लूटे कोई मन का नगर
लूटे कोई मन का नगर बन के मेरा साथी

रोग मेरे जी का, मेरे दिल का चैन
साँवला सा मुखड़ा, उसपे कारे नैन
ऐसे को, रोके अब कौन भला,
दिल से जो प्यारी है, सजनी हमारी है
का करूँ मैं बिन उसके रह भी नहीं पाती

लूटे कोई मन का नगर
लूटे कोई मन का नगर बन के मेरा साथी
…………………………………………..
Loote koi man ka nagar-Abhimaan 1973

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