बादल उठ्या- मटरू की बिजली का मंडोला २०१२
थे, गेंदे कम बचती थी और रन ज्यादा बनाने होते थे
तब कप्तान कुछ ऐसे जुमले सुनाया करता था. फिर कभी
लड़ाई झगडा होता तब भी ये शब्द सुनाई देते. इनका
किसी गीत में भी अभिनव प्रयोग हो सकता है ये बात
मुझे इस गीत को सुनने के बाद ही समझ आई. गीत
है मटरू की बिजली का मंडोला से, जिसे स्वर दिया है
रेखा भरद्वाज ने. गुलज़ार के बोलों के लिए धुन बनायीं
है विशाल भारद्वाज ने.
इसके साथ ही एक हरयाणवी गीत का आनंद भी ले लीजिए शायद आपको
पसंद आये.
गीत के बोल:
बादल उठ्या री सखी
मेरे सासरे की ओढ़ पानी
बरसेगा सिरतोर
बादल उठ्या
मोटी मोटी बूँद भटा-भट
कुटण लगे गोड़े से
पाणी के बहाव के आगे
बह ग्ये नल के तोड़े से
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
हवा के चकोड़े से
जंग्ड़्या के के वाड़ मूंदे
खुल ग्ये ओड़े सोड़े से
किसा पुल टूट्या री सखी
बह ग्ये नदी नाले जोड़ पाणी
बरसेगा सिरतोर
बादल उठ्या री सखी
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Badal Uthya-Matru ki bijli ka mandola 2012
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