आज अकेली मैं-स्वीटी १९८१
का नमूना पेश किया . साल में ६००-७०० तक फिल्म बनने लगीं.
उत्पादन के लिहाज़ से ये सबसे सफल दशक कहा जा सकता है.
आंकड़ों में सभी भाषाओँ की फ़िल्में, समानातर सिनेमा शामिल हैं.
गुणवत्ता के ऊपर थोड़ी मात्रा हावी हो चली. कई लोगों ने फिल्म
बनाने की विधा पर हाथ साफ़ किया. ये बात और है कि आम
जनता की नब्ज़ पकड़ने की और लुभावना बनाने की कला जिन
निर्देशकों के हाथ थी वे ही सफल हो पाए बॉक्स ऑफिस पर.
वैसे तो ये हर क्षेत्र की कहानी है, मगर हिन्दुस्तान का फ़िल्मी
गणित वाणिज्य है. ऐसा लगता है मानो वाणिज्य के मास्साब ने
गणित पढाई हो इन फिल्म बनाने वालों को.
आज आपको सुनवा रहे हैं फिल्म स्वीटी का गीत जिसे गाया
है आशा भोंसले ने. ये गीत स्वरबद्ध किया है उनके सुपुत्र ने
जिनका नाम है हेमंत भोंसले. गीत के बोल मजरूह सुल्तानपुरी
ने लिखे है. हेमंत भोंसले काफी संभावनाओं से भरे संगीतकार
सुनाई दिए थे मगर सफलता शायद उनके प्रारब्ध में नहीं थी.
उन्हें प्रथम दर्जे की फ़िल्में नहीं मिलीं. उनके बनाये कुछ कुछ
गीत अलबत्ता बेहद चर्हित रहे जैसे फिल्म श्रद्धांजलि का गीत
सैयां डोली ले के आये तेरे द्वार जो शोभा गुर्टू ने गाया है. आज
भी ये गीत शादी ब्याह के अवसर पर सुना जा सकता है. गीत
मधुर है और आप इसे कभी कभार सुनने वाले गीतों की सूची में
शामिल कर सकते हैं, बड़े आराम से.
पंचम भक्तों ने ये अनुमान लगाया कि हेमंत भोंसले का संगीत
प्रेरित है. कुछ ने तो यहाँ तक कह डाला कि ये धुनें पंचम की
हैं. जो फिल्मों के लिए वैकल्पिक धुनें थीं वे हेमंत भोंसले ने
प्रयोग में लीं. अनुमान अपनी जगह हैं. ये कहना संभव नहीं
कि ऐसा हुआ होगा.
फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं सचिन पिलगांवकर और रजनी शर्मा
जो फिल्म बालिका वधू में भी थे. बालिका वधू में आर. डी. बर्मन
का संगीत है.
गीत के बोल:
आज अकेली मैं और जहाँ के सितम
यहीं कहीं से तोड़ के बंधन अब तो आजा सनम
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आज अकेली मैं और जहाँ के सितम
यहीं कहीं से तोड़ के बंधन अब तो आजा सनम
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आज अकेली मैं
काश हम आज़ाद पंछी बन के उड़ते सस्थ में
फिर किसी डाली के पीछे हाथ लेकर हाथ में
इस तरह बाहों में खिलते देखता सारा चमन, हो
आज अकेली मैं और जहाँ के सितम
यहीं कहीं से तोड़ के बंधन अब तो आजा सनम
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आज अकेली मैं
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Aaj akeli main-Sweety 1981
Artist: Rajni Sharma
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