लाली लाली लाल चुनरिया-माता भजन
जिसके बोल लिखे हैं नक्श लायलपुरी ने. इसकी धुन बनाई
हैं अरुण पौडवाल ने. सुनने वालों से निवेदन है बोलों में
त्रुटियाँ हों तो उन्हें दूर करवाएं आपका बड़ा उपकार होगा.
भजन के बोल
माए मेरिये तुच्छेयाँ ज्योतावाली माता
तेरी सदा ही जय
हो माए मेरिये ऊंच्चेयाँ पहाडा वाली माता
तेरी सदा ही जय
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
ये लाल चुनरिया नारी के
तीनों ही रूप सजाये
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
पवन होती है नारी की बालावस्था
इसीलिए कन्या की हम करते हैं पूजा
ये पूजा फल देती है
सुखों के पल देती है
हो, सर पे दे के लाल चुनर
कंजक को पूजा जाए
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
ये लाल चुनरिया नारी के
तीनों ही रूप सजाये
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
दूजे रूप में नारी
आ के बने सुहागन
प्यार ही प्यार बना दे
ये अपना घर आँगन
मिले जो प्यार में भक्ति
तो मन पा जाए शक्ति
मिले जो प्यार में भक्ति
तो मन पा जाए शक्ति
हो, लाल चुनरिया ओढ़
सुहागन रूपवती कहलाये
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
ये लाल चुनरिया नारी के
तीनों ही रूप सजाये
लाली लाली लाल चुनरिया
कैसे न माँ को भाये
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Laali Laali Laal Chunariya-Mata Bhajan
1 comments:
jai mata di
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