May 5, 2015

दिल में इक लहर सी-गुलाम अली

बहुत दिन हो गए गुलाम अली की गज़ल सुने हुए. आज
सुन लेते हैं. ये एक लोकप्रिय गज़ल है. कुछ संगीतप्रेमियों
का मानना है गुलाम अली बहुत इठला के, इतरा के गज़ल
गाया करते हैं.

हर गायक का अपना अंदाज़ होता है गाने का. अब वे कहीं
कहीं गज़ल को कठिन बना देते हैं तो ये उनकी मर्ज़ी. उनके
मुरीद उसमें भी खुश हैं. उनकी कई गज़लें आप आसानी से
गुनगुना नहीं सकते जब तक आप क्लासिकल गायकी में
निपुण न हों. प्रस्तुत गज़ल भी उन्होंने अलग अलग अंदाज़
में गाई है.





गज़ल के बोल:

दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी

शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी

दिल में इक लहर सी उठी है अभी

कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नयी है अभी

दिल में इक लहर सी उठी है अभी

याद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभी

दिल में इक लहर सी उठी है अभी

शहर की बेचिराग़ गलियों में
ज़िन्दगी तुझको ढूँढती है अभी

दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
……………………………………………….
Dil mein ek lehar si uthi hai-Ghulam Ali Ghazal

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP