न जाओ सैयां छुडा के बैयाँ-साहब बीबी और गुलाम १९६२
साहब बीबी और गुलाम. मीना कुमारी, गुरु दत्त और वहीदा
रहमान इन तीनों के कैरियर के लिए ये फिल्म अहम साबित
हुई. बिमल मित्रा के इसी नाम से पब्लिश हुए उपन्यास पर
आधारित इस फिल्म का निर्माण हुआ था. इसका स्क्रीनप्ले
अबरार अलवि ने तैयार किया था जिन्होंने फिल्म निर्देशित
भी की. वैसे आपको फिल्म पर गुरु दत्त के निर्देशन की छाप
नज़र आएगी.
फिल्म के कैमरामैन वी. के. मूर्ती ने कमाल की सिनेमाटोग्राफी
की है. मूर्ती को हिंदी सिनेमा के कई नायब रत्नों जिन्हें हम
मास्टरपीस कहते हैं से जुड़े होने का सौभाग्य प्राप्त है. गुरुदत्त
के बैनर के बाहर उनकी उल्लेखनीय फ़िल्में हैं कमाल अमरोही
की पाकीज़ा और रज़िया सुल्तान. फिल्म रज़िया सुल्तान का
गीत-ऐ दिल-ए-नादान आपको अवश्य याद होगा जो फ़िल्मी
गीतों के इतिहास में एक मील का पत्थर है.
आइये सुना जाए गीता दत्त की आवाज़ में एक दर्द भरा गीत
फिल्म साहब बीबी और गुलाम से. गीत शकील बदायूनी का है
और संगीत हेमंत कुमार का.
गीत के बोल:
न जाओ सैय्याँ, छुड़ा के बैय्याँ
कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी
मचल रहा है सुहाग मेरा
जो तुम ना होगे, तो क्या करूँगी
ये बिखरी ज़ुल्फें, ये खिलता गजरा
ये महकी चुनरी, ये मन की मदिरा
ये सब तुम्हारे लिए है प्रीतम
मैं आज तुम को ना जाने दूँगी,
जाने ना दूँगी
न जाओ सैय्याँ, छुड़ा के बैय्याँ
कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी
मैं तुम्हारी दासी, जनम की प्यासी
तुम ही हो मेरा सिंगार प्रीतम
तुम्हारे रस्ते की धूल ले कर
मैं मांग अपनी सदा भरूँगी,
सदा भरूँगी
न जाओ सैय्याँ, छुड़ा के बैय्याँ
कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी
जो मुझसे अँखियाँ चुरा रहे हो
तो मेरी इतनी अरज भी सुन लो
तुम्हारे चरणों में आ गयी हूँ
यहीं जिऊँगी, यहीं मरूँगी,
यहीं मरूँगी
न जाओ सैय्याँ, छुड़ा के बैय्याँ
कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी
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Na jao saiyan chhuda ke baiyan-Sahib biwi aur ghulam 1962
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