ये गलियाँ ये चौबारा-प्रेम रोग १९८२
से एक है प्रेम रोग का लता मंगेशकर का गाया गीत जो अर्ध
युवा हुई पद्मिनी कोल्हापुरे पर फिल्माया गया था. १९८२ की
बड़ी हिट फिल्मों में गिनी जाती है फिल्म प्रेम रोग. बहुसितारा
फिल्म प्रेम रोग के गाने इतने चले कि बॉबी फिल्म के गीत
पीछे छूटते से महसूस हुए.
गीत संतोष आनंद का लिखा हुआ है और काफी लंबा गीत है.
गीत की जमावट साहित्यिक है मगर गुनगुनाने में आसान है ये.
गीतों की गुणवत्ता के मामलेमें राज कपूर अपने समकालीनों से
बीस साबित हुए हमेशा. अपवाद इक्का दुक्का होगा अगर हुआ
तो. उनकी फ़िल्में चली हो या ना चली हों, संगीत उत्तम कोटि
का मिलेगा आपको, नहीं चली फिल्मों में कुछ एक ही हैं जैसे
मेरा नाम जोकर.
प्रस्तुत फिल्म में उनके भाई शम्मी कपूर ने अभिनय किया है
और नायक उनके सुपुत्र ही हैं-ऋषि कपूर. उन्होंने अभिनय कैसा
भी किया हो फिल्म में, मगर सराहना अवश्य हुई . फिल्मफेयर
पुरस्कार अलबत्ता मिला अभिनेत्री को इस फिल्म के लिए.
गीत के बोल:
ये गलियाँ ये चौबारा, यहाँ आना न दोबारा
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
ले जा रँग-बिरंगी यादें, हँसने रोने की बुनियादें
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
मेरे हाथों में भरी-भरी चूड़ियाँ, मुझे भा गई हरी हरी चूड़ियाँ
देख मिलती हैं तेरी-मेरी चूड़ियाँ, तेरे जैसी सहेली मेरी चूड़ियाँ
तूने पीसी वो मेहँदी रँग लाई, मेरी गोरी हथेली रचाई
तेरी आँख क्यों लाडो भर आई, तेरे घर भी बजेगी शहनाई
सावन में बादल से कहना, परदेस में मेरी बहना
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
आ माँ मिल ले गले, चले हम ससुराल चले
तेरे आँगन में अपना, बस बचपन छोड़ चले
कल भी सूरज निकलेगा, कल भी पंछी गाएंगे
सब तुझको दिखाई देंगे, पर हम न नज़र आएंगे
आँचल में संजो लेना हमको, सपनों में बुला लेना हमको
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
देख तू ना हमें भुलाना, माना दूर हमें है जाना
मेरी अल्हड़ सी अठखेलियां, सदा पलकों बीच बसाना
जब बजने लगे बाजे गाजे, जब लगने लगे खाली-खाली
उस दम तू इतना समझना, मेरी डोली उठी है फूलों वाली
थोड़े दिन के ये नाते थे, कभी हँसते थे गाते थे
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
ये गलियाँ ये चौबारा, यहाँ आना न दोबारा
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
ले जा रँग-बिरंगी यादें, हँसने रोने की बुनियादें
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
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Ye galiyan ye chaubara-Prem rog 1982
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