मत प्यार में धोखा खाना-आधी रोटी १९५७
आपको दो फिल्मों से गीत सुनवाए हैं अभी तक जिनके नाम
में आधी शब्द आता है. ‘आधी रात’ और ‘आधी रात के बाद’.
आज सुनते हैं सन ५७ की फिल्म आधी रोटी से एक गीत.
कवि भारत व्यास वैसे तो साहित्यिक गीतों के लिए ज्यादा
जाने जाते हैं मगर उन्होंने कई हलके फुल्के गीत भी लिखे
हैं.
आज तो चमक दमक वाला ज़माना है मगर इस गीत से भी
पता चलता है कि चमक से पिछले युग में भी ऑंखें चुंधिया
जाया करती थीं. समय के साथ बहुत सी चीज़ें चिकनी हो
गयी हैं, कहीं कहीं की तो सड़कें भी ! मार्बल के बाद अब
ग्रेनाईट युग है जिसमें कुछ ज्यादा ही चिकनाई और चमक
देखने को मिलती है.
गाने में सयानों को नसीहत दी गयी है. हिंदी फ़िल्मी गीतों की
स्टडी की जाए तो आप इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि दिल की
चोरी लड़कियां ज्यादा किया करती हैं लड़कों के बनिस्बत. ये
पॉवर भी नारी को प्रदान कर रखी है ऊपर वाले ने.
इस गीत का वीडियो दुर्लभ है. गीत तो क्या फिल्म ही दुर्लभ है,
आपको देखने को मिल जाए तो खुशकिस्मत समझिए अपने
आप को. गीत में माउथ ऑर्गन का सुन्दर प्रयोग हुआ है. इस
फिल्म के कलाकारों के नाम इस प्रकार से हैं-रुप कुमार, मनोरमा,
अल नासिर, भगवान, उल्हास, सुलोचना, डब्बू और प्रेम अदीब.
गुज़रे ज़माने के इन कलाकारों में आप भगवान, मनोरमा, सुलोचना
और उल्हास को ज़रूर पहचानते होंगे. भगवान वही फिल्म अलबेला
वाले जिनकी डांस स्टाइल को महानायक बच्चन ने अपनाया है,
मनोरमा हैं फिल्म हाफ टिकट में मधुबाला की मौसी के किरदार
में, उल्हास हैं फिल्म गूँज उठी शहनाई में नायिका के पिता और
नायक के गुरु की भूमिका में, सुलोचना को आपने कई फिल्मों
में माँ के रोल में देखा होगा. निरुपा रॉय के माँ रूप में आगमन के
पहले तक शायद सबसे ज्यादा लोकप्रिय माँ के रोल सुलोचना ने
निभाए थे. फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर में विनोद खन्ना की माँ की
भूमिका में वही हैं.
गीत के बोल:
मत प्यार में धोखा खाना
चिकना चिकना है ज़माना
बाबू रे फिसल न जाना
ओ मत प्यार में धोखा खाना
चिकना चिकना है ज़माना
बाबू रे फिसल न जाना
अरे फिसल न जाना बाबू
दिल पे रखना काबू
बाबू रे बाबू रे बाबू फिसल न जाना
उडती फिरती जादूगरनी छोरियां
चुपके चुपके दिल की करती चोरियां
हो उडती फिरती जादूगरनी छोरियां
चुपके चुपके दिल की करती चोरियां
दिल अपना इनसे बचाना
मत चोट जिगर पे खाना
बाबू रे, फिसल न जाना
अरे फिसल न जाना बाबू
दिल पे रखना काबू
बाबू रे बाबू रे बाबू फिसल न जाना
चल चल चल संभल के चल
चल चल चल संभल के
गलियां हैं प्यार की
नार है या धार है तलवार की
कानों में दो झूमती है बालियाँ
दिल फंसाने को है ये दो जालियां
कानों में दो झूमती है बालियाँ
दिल फंसाने को है ये दो जालियां
ये प्रेम का ताना बाना
मत चक्कर में आना
बाबू रे फिसल न जाना
फिसल न जाना बाबू
दिल पे रखना काबू
बाबू रे बाबू रे बाबू फिसल न जाना
मत प्यार में धोखा खाना
चिकना चिकना है ज़माना
बाबू रे फिसल न जाना
ओ फिसल न जाना बाबू
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Mat pyar mein dhokha khana-Aadhi Roti 1957
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