सुनाएँ हाल-ऐ-दिल क्या-मदमस्त १९५३
दरअसल हर दौर की कुछ गुमनाम फ़िल्में होती हैं. फ़िल्मी
कीड़े अर्थात फिल्मों के चोटी के शौक़ीन ही इनकी जानकारी
रख पाते हैं. ये सिलसिला चलता रहता है और आम जनता
बेखबर रहती है गुमनाम फिल्मों से.
गीत लता मंगेशकर का गाया हुआ है और इसके बोल लिखे
हैं मधुराज ने. संगीतकार हैं वी. बलसारा. वही वी बलसारा
जिन्होंने विद्यापति फिल्म के लिए एक अलौकिक धुन बनाई
थी और लता से गीत गवाया था-मोरे नैना सावन भादो.
कुछ फ़िल्में जिन्हें समीक्षक ‘बी’ ग्रेड और ‘सी’ ग्रेड फ़िल्में
बोलते हैं, उनमें से अधिकांश कम पूँजी वाले निर्माता निर्देशकों
की होती हैं जो प्रचार पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं कर पाते या
जिनकी रिश्तेदारी वितरकों और सिनेमा मालिकों से नहीं होती.
जिन फिल्मों के पोस्टर वगैरह देखने को नहीं मिल पाते और
जो १-२ दिन में सिनेमा हाल से रूठ जाया करती हैं, उनके बारे
में जानकारी मिलना कठिन हो जाता है.
गीत दमदार है और सुनने वालों को मदमस्त करने की क्षमता
रखता है.
गीत के बोल:
सुनाएँ हाल-ऐ-दिल क्या हम हमारा
मुकद्दर बन गया दुश्मन हमारा
मुकद्दर बन गया दुश्मन हमारा
सुनाएँ हाल-ऐ-दिल क्या
कि जान बना कर उजाडा बेरहम ने
कि जान बना कर उजाडा बेरहम ने
ये लहराता हुआ गुलशन हमारा
ये लहराता हुआ गुलशन हमारा
सुनाएँ हाल-ऐ-दिल क्या
गिरा कर आग बादल की घटा से
गिरा कर आग बादल की घटा से
जलाता है ये दिल सावन हमारा
जलाता है ये दिल सावन हमारा
सुनाएँ हाल-ऐ-दिल क्या हम हमारा
मुकद्दर बन गया दुश्मन हमारा
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Sunaye Hale Dil Kya Ham Hamara- Madmast 1953
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