एक दो तीन हों तो-एक दो तीन १९५३
कहावत याद आ गयी-जान न पहचान मैं तेरा मेहमान.
इस कहावत से एक गीत याद आया जो आज आप सुनेंगे.
आप अगर नेता हों या अभिनेता या दोनों का मिश्रण उस
स्तिथि में आपको पहचानने वाले यकायक उग आते हैं
इधर उधर से. एक आम आदमी को पहचानने वाले कम
ही होते हैं इसलिए कभी कभी कोई अजनबी पहचानने की
कोशिश करता है तो लगता है अपना भी सेलिब्रिटी स्टेटस
बढ़ गया हो.
आपको आज सुनवाते हैं गुज़रे ज़माने के नामचीन सितारों
पर फिल्माया गया एक हल्का फुल्का गीत. मीना शोरी और
मोतीलाल पर फिल्माया गया ये गीत गाया है आशा भोंसले
ने. एक दो तीन एक हास्य फिल्म है. प्रस्तुत गीत लिखा है
अज़ीज़ कश्मीरी ने और इसके संगीतकार हैं एरिक रोबर्ट्स
उर्फ विनोद.
गीत के बोल:
कर रहा है मुकद्दर इशारा हमें
तेरे लारों ने रखा कुंवारा हमें
एक दो तीन
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
भोली भाली सूरतें दिल में कडूरतें
भोली भाली सूरतें दिल में कडूरतें
हमें तो ये जानता है नन्हा सा शिकार
हमें तो ये जानता है नन्हा सा शिकार
इसलिए करते हैं रोज छेड़ छाड
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
मिलेंगे जो रस्ते कहेंगे नमस्ते हो नमस्ते जी नमस्ते
मिलेंगे जो रस्ते कहेंगे नमस्ते हो नमस्ते जी नमस्ते
जान न पहचान मैं तेरा मेहमान
जान न पहचान मैं तेरा मेहमान
ऐसी ही शरारतों में आती है ये खार
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
देखिये हुजूर मेरी अंखियों के नूर
रहो दूर दूर ये मैं कहूँगी ज़रूर
देखिये हुजूर मेरी अंखियों के नूर
रहो दूर दूर ये मैं कहूँगी ज़रूर
लगेगी न नाव तेरी मेरी कभी पार
सुनी नहीं कभी मेरे दिल की पुकार
लगेगी न नाव तेरी मेरी कभी पार
सुनी नहीं कभी मेरे दिल की पुकार
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
एक दो तीन
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
एक दो तीन हों तो करूं ऐतबार
पिया जी ने लारे हमें दिए हैं हज़ार
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EK do teen honto-Ek do teen 1953
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