उर्जू दूरकूट-यहाँ २००५
यहाँ से. फ़िल्म का नाम भी तो अनूठा ही है. फिल्म सन २००५
का मॉडल है. प्रयोगधर्मिता के युग में(सन २००० के बाद) कुछ
एक गीत मधुर भी बने शोर-शराबे के बीच. फिल्म यहाँ से आपको
सबसे प्रचलित गीत पहले सुनवा चुके हैं इस ब्लॉग पर.
शांतनु मोइत्रा इस समय के प्रसिद्ध संगीतकार हैं. इस गीत को लिखा
गुलज़ार ने है. गुलज़ार ने काफी प्रयोगधर्मी गीत लिखे हैं और प्रयोग
के हिसाब से उन्हें जनता पायोनियर भी कहती है. गीत गाया है
श्रेया घोषाल ने. गुलज़ार के गीतों में चाँद भी पापड की तरह बिल
जाता है और इतने आहिस्ता से कि पता ही नहीं चलता.
उर्जु दूरकूट दो शब्द हैं कश्मीरी के जिनका अर्थ है-उत्तम स्वास्थ्य और
मजबूत घुटने. फिल्म की नायिका हैं-मिनिषा लाम्बा. उन्होंने इस
फिल्म में एक कश्मीरी लड़की की भूमिका निभाई है.
गीत के बोल:
छन से बोले चमक के जब चनार बोले
ख्वाब देखा है आँख का खुमार बोले
ख्वाब छलके तो आँख से टपक के बोले
झरना छलके तो पूरा आबशार बोले
उर्जू उर्जू दूरकूट
उर्जू उर्जू दूरकूट
हरे ख्वाब की ये हरी चूड़ियाँ
कलाई में किस ने भरी चूड़ियाँ
उठी नींद से चली आई मैं
साथ ही आ गयी मेरी चूड़ियाँ
आँख बोले कि ख्वाब ख्वाब खेलते रहो
रोज़ कोई एक चाँद बेलते रहो
चाँद टूटे तो टुकड़े टुकड़े बाँट लेना
गोल पहिया है रात दिन ढकेलते रहो
उर्जू दूरकूट
उर्जू दूरकूट
छन से बोले चमक के जब चनार बोले
ख्वाब देखा है आँख का खुमार बोले
ख्वाब छलके तो आँख से टपक के बोले
झरना छलके तो पूरा आबशार बोले
उर्जू उर्जू दूरकूट
उर्जू उर्जू दूरकूट
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Urzu Durkut-Yahaan 2005
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