दिल आज कल मेरी सुनता-पुरानी जीन्स २०१४
हैं आप. हम कितने भी विलायती हो जाएँ अगर अपनी जड़ों से
कभी अलग नहीं हो पाएंगे. धन्यवाद नयी पीढ़ी के निर्माता
निर्देशकों का, वे कुछ सामान देसी अवश्य छोड़ते हैं फिल्मों में
जिसे जूने पुराने दर्शक पसंद कर सकें.
प्रस्तुत गीत में “दिल हैज गोन आउट ऑफ कंट्रोल” वाला भाव
है. दिल एक कीवर्ड ही गीतों का. जब आपको कोई शब्द न सूझ
रहा हो तो दिल शब्द का सहारा ले लें. वैसे भी सयाने कहते हैं
दिल की सुनें. गीत प्रशांत इंगोले का लिखा हुआ है जिसकी
धुन बनायीं है राम संपत ने और इसे के के ने गाया है जिनका
पूरा नाम है कृष्ण कुमार कुन्नथ. के के के गाये उम्दा गीतों में
से एक मान सकते हैं आप इसे.
गीत के बोल:
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
दिल आज कल पास रहता नहीं
ये तुझसे ही मिलने को चाहे
ये तेरी ही करता है बातें
क्या तुम हो, क्या तुम हो वही
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
तेरी आँखों के रस्ते ये चले जाता है
जो बुलाऊँ मैं कभी, लौट आता नहीं
बेखबर ये ज़माने से टकराता है
बेधड़क मुझसे कहता है, मैं हूँ यूँ ही
ये तुझसे ही मिल के हुआ है
जो तेरी नज़र ने छुआ है
क्या तुम हो, क्या तुम हो वही
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
है हुनर एक नया इसको तुझसे मिला
मुस्कुरा के ये मिलता है सबसे अभी
आधी रातों में मुझको ये देता उठा
मुझसे पूछे ये रातें क्यूं कटते नहीं
ये तुझसे ही मिलने को चाहे
ये तेरी ही करता है बातें
क्या तुम हो, क्या तुम हो वही
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
ये तुझसे ही मिलने को चाहे
ये तेरी ही करता है बातें
क्या तुम हो, क्या तुम हो वही
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
दिल आज कल मेरी सुनता नहीं
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Dil aaj kal meri suntan nahin-Purani Jeans 2014
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