ख़ुदा निगेहबान हो तुम्हारा-मुग़ल-ए-आज़म १९६०
ध्यान दे या ना दे, इनका असर सभी पर पड़ा करता है. सृष्टि
के वरदानों में से एक है संगीत.
फिल्म मुग़ल-ए-आज़म का एक गीत है लता मंगेशकर का गाया
हुआ जिसमें कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार से हैं-
उठे जनाज़ा जो कल हमारा, क़सम है तुमको, न देना काँधा
दर्द की इन्तेहा के आगे अगर कुछ है तो शायद ऐसी पंक्तियाँ
ही बयां कर पाती होंगी. दो अंतरों में ही नाउम्मीदी के ऐसे
बयान लिखने वाले की कल्पनाशक्ति की दाद देना पड़ेगी. वो
समय था जब गीतों के बोलों पर और फिल्मांकन पर मेहनत
की जाती थी. इस फिल्म के गीत, विशेषकर मधुबाला पर
फिल्माए गए अनूठे हैं और प्रस्तुत गीत भावाभिव्यक्ति में
एक कठिन परीक्षा जैसी थी अभिनेत्री के लिए. बैकग्राउंड
में गीत बज रहा है जैसे दिल से भाव निकल रहे हों शब्द
की शक्ल लेकर. यहाँ निगेहबान शब्द का अर्थ है- ईश्वर का
संरक्षण.
गीत के बोल:
वो आई सुबह के परदे से मौत की आवाज़
किसी ने तोड़ दिया जैसे ज़िन्दगी का साज़
ख़ुदा निगेहबान हो तुम्हारा
धड़कते दिल का पयाम ले लो
तुम्हारी दुनिया से जा रहें हैं
उठो हमारा सलाम ले लो
है वक़्त-ए-रुख़्सत, गले लगा लो
ख़ताएं भी आज बख्श डालो
बिछड़ने वाले का दिल न तोड़ो
ज़रा मोहब्बत से काम ले लो
तुम्हारी दुनिया से जा रहें हैं
उठो हमारा सलाम ले लो
उठे जनाज़ा जो कल हमारा
क़सम है तुमको, न देना काँधा
न हो मोहब्बत हमारी रुसवा
ये आँसुओं का पयाम ले लो
ख़ुदा निगेहबान हो तुम्हारा
धड़कते दिल का पयाम ले लो
तुम्हारी दुनिया से जा रहें हैं
उठो हमारा सलाम ले लो
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Khuda Nigehbaan ho tumhara- Mughal-e-azam 1960
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