तू मिले, दिल खिले-क्रिमिनल १९९५
कुमार सानू के गाये हिट गीतों में इसकी गिनती होती है. ये
गीत महिला संस्करण में भी उपलब्ध है मगर सानू का वर्ज़न
ज्यादा सुना जाता है. दोनों वर्ज़न, वैसे मैं आपको बता दूं कि,
सुनने में बराबर आनंददायी हैं
अगर आप समझें गीतकार की भी भूमिका होती है गीत को
दमदार बनाने में तो इन्दीवर को आप क्रेडिट दे सकते हैं. ये
वही हैं जिन्होंने कई साहित्यिक अलंकारों वाले गीत भी लिखे
साथ में रोजी रोटी चलाने के लिए ८० के दशक में दिमाग के
तार झनझना देने वाले गीत भी लिखे जिनकी धुनों को सुन
कर शरीर का पुर्जा पुर्जा हिल जाता था. ये हिलाने वाली धुनें
अक्सर बप्पी की हुआ करती थीं.
प्रस्तुत गीत के संगीतकार हैं एम् एम् क्रीम जो एम् एम् कीरवानी
के नाम से भी जाने जाते हैं. ये दक्षिण के ख्यात संगीतकार हैं.
इनके कुछ गीत आपको सुनवा चुके हैं पहले.
गीत के बोल:
तू मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए
ना हो तू उदास, तेरे पास-पास मैं रहूँगा ज़िन्दगी भर
सारे संसार का प्यार, मैंने तुझी में पाया
तू मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए
चंदा तुझे देखने को निकला करता है
आईना भी दीदार को तरसा करता है
इतनी हसीं, कोई नहीं
हुस्न दोनों जहां का, एक तुझमें सिमट के आया
तू मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए
ना हो तू उदास, तेरे पास-पास मैं रहूँगा ज़िन्दगी भर
सारे संसार का प्यार, मैंने तुझी में पाया
तू मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए
प्यार कभी मरता नहीं, हम तुम मरते हैं
होते हैं वो लोग अमर, प्यार जो करते हैं
जितनी अदा, उतनी वफ़ा
एक नज़र प्यार से देख लो, फिर से ज़िंदा कर दो
तू मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए
ना हो तू उदास, तेरे पास-पास मैं रहूँगा ज़िन्दगी भर
सारे संसार का प्यार, मैंने तुझी में पाया
तू मिले, दिल खिले, और जीने को क्या चाहिए
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Tu mile dil khile(male)-Criminal 1995
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