कह दो कोई ना करे यहाँ प्यार-गूँज उठी शहनाई १९५९
गीत नायब हीरा है संगीत के खजाने का. आज सुनते हैं रफ़ी
की आवाज़ में टॉप क्लास दर्द भरा गीत. विजय भट्ट ने इससे
पहले एक पीरियड फिल्म पटरानी(५६) का निर्माण किया था जो
ज्यादा चली नहीं. फिल्म अलबत्ता अच्छे गीतों से भरी पड़ी है.
सन १९५२ की बैजू बावरा तो शायद उनके निर्देशन कैरियर
की सबसे बड़ी हिट फिल्म रही.
गूँज उठी शहनाई उल्लेखनीय होने की वजह है एक-उस समय
न तो राजेंद्र कुमार कोई बड़े सितारे थे ना ही फिल्म की नायिका
अमीता. राजेंद्र कुमार के कैरियर को तो पंख लग गए फिल्म के
बाद, अमीता को कुछ खास फायदा न हुआ.
गीत है भरत व्यास का और इसकी धुन बनाई है वसंत देसाई
ने.
गीत के बोल:
बिखर गए बचपन के सपने
अरमानों की शाम ढले
कहीं सजे बारात किसी की
कहीं किसी का प्यार जले
कह दो कोई न करे यहाँ प्यार
इसमें ख़ुशियाँ हैं कम, बेशुमार हैं ग़म
इक हँसी और आँसू हज़ार
कह दो कोई न करे यहाँ प्यार
प्रीत पतंगा दिये से करे
उसकी ही लौ में वो जल-जल मरे
मुश्किल राहें यहाँ, अश्क और आहें यहाँ
इसमें चैन नहीं, ना करार
कह दो कोई न करे यहाँ प्यार
हमने तो समझा था फूल खिले
चुन-चुन के देखा तो काँटे मिले
ये अनोखा जहां, हरदम धोखा यहाँ
इस वीराने में कैसी बहार
कह दो कोई न करे यहाँ प्यार
इसमें ख़ुशियाँ हैं कम, बेशुमार हैं ग़म
इक हँसी और आँसू हज़ार
कह दो कोई न करे यहाँ प्यार
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Keh do koi na kare yahan pyar-Goonj uthi shehnai 1959
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