Apr 20, 2016

हुस्न पहाड़ों का-राम तेरी गंगा मैली १९८५

सर चढ के बोले थे फिल्म राम तेरी गंगा मैली के गीत.
शो मैन राज कपूर के फ़िल्मी कैरियर में ऐसा कई बार
हुआ, उनकी फिल्मों के गीत सुपर हिट होते. ऐसा संयोग
शायद ही किसी और निर्देशक के साथ हुआ हो. उनकी
फिल्म मेरा नाम जोकर जो बॉक्स ऑफिस पर चली नहीं
मगर उसके गीत खूब गूंजे और उनकी गूँज आज भी सुनाई
देती है. संगीतकार कोई भी रहा हो, राज कपूर ने अपनी
पसंद का काम उससे करवा ही लिया.

सुनते हैं फिल्म राम तेरी गंगा मैली से एक और गीत जो
एक शानदार युगल गीत है. सॉफ्ट धुन है और इसमें
उतार चढ़ाव भी बहुत हैं. गीत और संगीत दोनों रवींद्र जैन
का है.



गीत के बोल:

हुस्न पहाड़ों का, ओ सायबा
हुस्न पहाड़ों का
क्या कहना के बारहों महीने
यहाँ मौसम जाड़ों का

रुत ये सुहानी है
मेरी जाँ रुत ये सुहानी है
के सर्दी से डर कैसा संग गर्म जवानी है
के सर्दी से डर कैसा संग गर्म जवानी है

तुम परदेसी किधर से आये
आते ही मेरे मन में समाये
करूँ क्या हाथों से मन निकला जाये
करूँ क्या हाथों से मन निकला जाये
छोटे-छोटे झरने हैं
के झरनों का पानी छू के कुछ वादे करने हैं
झरने तो बहते हैं
क़सम ले पहाड़ों की जो कायम रहते हैं

खिले-खिले फूलों से भरी-भरी वादी
रात ही रात में किसने सजा दी
लगता है जैसे यहाँ अपनी हो शादी
लगता है जैसे यहाँ अपनी हो शादी

क्या गुल बूटे हैं
पहाड़ों में ये कहते हैं परदेसी तो झूठे हैं
हाथ हैं हाथों में
के रस्ता कट ही गया इन प्यार की बातों में
दुनिया ये गाती है
सुनो जी दुनिया ये गाती है
कि प्यार से रस्ता तो क्या ज़िंदगी कट जाती है
कि प्यार से रस्ता तो क्या ज़िंदगी कट जाती है
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Husn pahadon ka-Raam teri Ganga maili 1985

Artists: Rajeev Kapoor, Mandakini

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