May 15, 2016

बस यही अपराध मैं हर बार-पहचान १९७०

कविवर नीरज का लिखा एक गीत और सुनते हैं फिल्म
पहचान से. इस गीत का संगीत शंकर जयकिशन ने तैयार
किया है. मनोज कुमार फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं.

एक सन्देश देता हुआ ये गीत काफी लोकप्रिय है और इसके
संगीत में आपको थोड़ी फंकी आवाजें सुनाई देंगी. इस तरह
के प्रयोग आजकल के भजन वगैरह में भी होते हैं कुछ अलग
तरह की ध्वनियाँ संगीत में डाली जाती हैं आम जनता को
आकर्षित करने के लिए. इस गीत को भी मुकेश ने गाया है.




गीत के बोल:

बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड में कोई अकेले में
एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड में कोई अकेले में
मस्कुराकर भेंट हर स्वीकार करता हूँ
मस्कुराकर भेंट हर स्वीकार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी
बेचकर खुशियाँ खरीदूँ आँख का पानी
हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी
बेचकर खुशियाँ खरीदूँ आँख का पानी
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूँ
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर
आदमी जिसमें रहे बस आदमी बन कर
मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर
आदमी जिसमें रहे बस आदमी बन कर
उस नगर की हर गली तैयार करता हूँ
उस नगर की हर गली तैयार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
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Bas yahi apradh main har baar-Pehchan 1970

Artist-Manoj Kumar

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