जिंदगी के सफर में अकेले थे हम-नर्तकी १९६३
जगत को अतुलनीय है. रवि ने यूँ तो सभी गायकों के लिए
अच्छे गीत बनाये मगर रफ़ी के लिए कुछ ज्यादा ही खास
बनाये या यूँ कहें कि रफ़ी ने उन गीतों को खास बना दिया.
दोनों के कोम्बिनेशन वाले गीत सुनो तो ऐसा लगता है जैसे
दोनों के बीच कुछ अटूट रिश्ता हो और ज़बरदस्त अंडरस्टेन्डिंग.
ना यकीन हो तो सुन लिए फिल्म नर्तकी का एक गीत जो
सन १९६३ की फिल्म है. गीत लिखा है शकील बदायूनीं ने
गीत की पन्क्तिओय में सुनील दत्त के भविष्य में आने वाली
एक फिल्म का नाम छिपा है-हमराज़.
नितिन बोस ने फिल्म का निर्देशन किया जिसमें सुनील दत्त,
नंदा, नाना पलसीकर, ओम प्रकाश और आगा प्रमुख भूमिकाएं
वाले अभिनेता/अभिनेत्रियां हैं. मेरा ऐसा अनुमान है सुनील दत्त
को भी काफी अभिनेत्रियों के साथ काम करने का मौका मिला.
किसी विसेशेष अभिनेत्री के साथ उनकी जोड़ी की कभी चर्चा
नहीं सुनी या पढ़ी.
गीत के बोल:
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम
मिल गए तुम तो दिल को सहारा मिला
आ गए इक नए रास्ते पर क़दम
जब तुम्हारी नज़र का इशारा मिला
उलझनें थीं ख्यालों पे छाई हुई
गम की मौजें थीं दिल में समायी हुई
उलझनें थीं ख्यालों पे छाई हुई
गम की मौजें थीं दिल में समायी हुई
तुमने जब दिल की कश्ती में रखा सनम
हमको तूफ़ान में भी कनारा मिला
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम
मिल गए तुम तो दिल को सहारा मिला
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम
ज़िंदगी को तमन्ना थी हमराज़ की
साज़-ए-दिल की ज़रूरत थी आवाज़ की
ज़िंदगी को तमन्ना थी हमराज़ की
साज़-ए-दिल की ज़रूरत थी आवाज़ की
तुमने जब मुस्कुरा कर पुकारा हमें
ज़िंदगी को खुशी का नज़ारा मिला
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम
मिल गए तुम तो दिल को सहारा मिला
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम
अब ज़माने का डर है न दुनिया का ग़म
अपनी तक़दीर पर नाज़ करते हैं हम
अब ज़माने का डर है न दुनिया का ग़म
अपनी तक़दीर पर नाज़ करते हैं हम
आज आँखों को जलवे तुम्हारे मिले
आज हाथों को दामन तुम्हारा मिला
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम
मिल गए तुम तो दिल को सहारा मिला
आ गए इक नए रास्ते पर क़दम
जब तुम्हारी नज़र का इशारा मिला
ज़िंदगी के सफ़र में अकेले थे हम......................................................................
Zindagi ke safar mein akele the-Nartaki 1963
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